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ए॒ष स्य मानु॑षी॒ष्वा श्ये॒नो न वि॒क्षु सी॑दति । गच्छ॑ञ्जा॒रो न यो॒षित॑म् ॥

English Transliteration

eṣa sya mānuṣīṣv ā śyeno na vikṣu sīdati | gacchañ jāro na yoṣitam ||

Pad Path

ए॒षः । स्यः । मानु॑षीषु । आ । श्ये॒नः । न । वि॒क्षु । सी॒द॒ति॒ । गच्छ॑न् । जा॒रः । न । यो॒षित॑म् ॥ ९.३८.४

Rigveda » Mandal:9» Sukta:38» Mantra:4 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:28» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:4


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एषः स्यः) यह परमात्मा (श्येनः नः) शीघ्रगामी विद्युदादि शक्तियों के समान (जारः योषितम् गच्छन् न) जैसे चन्द्रमा रात्रि को प्रकाशित करता हुआ प्राप्त होता है, उसी प्रकार (मानुषीषु विक्षु सीदति) मानुषी प्रजाओं में प्राप्त होता है।
Connotation: - जिस प्रकार चन्द्रमा अपने शीत स्पर्श और आह्लाद को देता हुआ प्रजा को प्रसन्न करता है, उसी प्रकार परमात्मा अपने शान्त्यादि और आनन्दादि गुणों से सब प्रजाओं को प्रसन्न करता है। कई एक टीकाकार इसके ये अर्थ करते हैं कि जिस प्रकार (जार) यार अपनी प्रिय स्त्री को शीघ्रता से आकर प्राप्त होता है, इस प्रकार वह हम को आकर प्राप्त हो। “जार” के अर्थ स्त्रीलम्पट पुरुष के उन्होंने भ्रान्ति से समझे हैं, क्योंकि (जारयति जारः) इस व्युत्पत्ति से रात्रि का स्वाभाविक धर्म जो अन्धकार है, उसको नाश करनेवाला चन्द्रमा ही हो सकता है। इस अभिप्राय से “जार” शब्द यहाँ चन्द्रमा को कहता है, किसी पुरुषविशेष को नहीं। स्त्रीलम्पट पुरुषविशेष अर्थ करके यहाँ अल्पश्रुत टीकाकारों ने वेद को कलङ्कित किया है ॥४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एष स्यः) अयं परमात्मा (श्येनः नः) शीघ्रगामिविद्युदादिशक्तिरिव (जारः योषितम् गच्छन् न) रात्रिं प्राप्नुवन् प्रकाशमानः चन्द्र इव च (मानुषीषु विक्षु सीदति) मानुषीः प्रजाः प्राप्नोति ॥४॥