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विश्वा॒ वसू॑नि सं॒जय॒न्पव॑स्व सोम॒ धार॑या । इ॒नु द्वेषां॑सि स॒ध्र्य॑क् ॥

English Transliteration

viśvā vasūni saṁjayan pavasva soma dhārayā | inu dveṣāṁsi sadhryak ||

Pad Path

विश्वा॑ । वसू॑नि । स॒म्ऽजय॑न् । पव॑स्व । सो॒म॒ । धार॑या । इ॒नु । द्वेषां॑सि । स॒ध्र्य॑क् ॥ ९.२९.४

Rigveda » Mandal:9» Sukta:29» Mantra:4 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:19» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:4


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! (विश्वा वसूनि सञ्जयन्) आप मेरे लिये सम्पूर्ण धनादि ऐश्वर्य को बढ़ा कर (धारया पवस्व) आनन्द की वृष्टि से हम को पवित्र करिये (इनु द्वेषांसि सध्र्यक्) और सब प्रकार के द्वेषों को भी साथ ही दूर करिये ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में इस बात का उपदेश किया है कि जो पुरुष अपना अभ्युदय चाहे, वह रागद्वेषरूपी समुद्र की लहरों में कदापि न पड़े। क्योंकि जो लोग राग-द्वेष के प्रवाह में पड़कर बह जाते हैं, वे आत्मिक सामाजिक तथा शारीरिक तीनों की उन्नतियों को नहीं कर सकते, इसलिये पुरुष को चाहिये कि वह राग-द्वेष के भावों से सर्वथा दूर रहे ॥४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे परमात्मन् ! (विश्वा वसूनि सञ्जयन्) भवान् मदर्थं समस्तं धनाद्यैश्वर्य्यं वर्द्धयन् (धारया पवस्व) आनन्दवृष्ट्या मां पुनीहि (इनु द्वेषांसि सध्र्यक्) सर्वप्रकारं द्वेषमपि निराकुरु ॥४॥