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ए॒ष सूर्ये॑ण हासते॒ पव॑मानो॒ अधि॒ द्यवि॑ । प॒वित्रे॑ मत्स॒रो मद॑: ॥

English Transliteration

eṣa sūryeṇa hāsate pavamāno adhi dyavi | pavitre matsaro madaḥ ||

Pad Path

ए॒षः । सूर्ये॑ण । हा॒स॒ते॒ । पव॑मानः । अधि॑ । द्यवि॑ । प॒वित्रे॑ । म॒त्स॒रः । मदः॑ ॥ ९.२७.५

Rigveda » Mandal:9» Sukta:27» Mantra:5 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:5 | Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:5


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एषः) यह परमात्मा (सूर्येण हासते) सूर्य को भी अपने तेज से तिरस्कृत करता है (पवमानः) सबको पवित्र करनेवाला है (अधि द्यवि) और द्युलोकादि सम्पूर्ण लोकों में विराजमान है (पवित्रे मत्सरः मदः) पवित्र अन्तःकरणवाले पुरुषों को अपने आनन्द से आनन्दित करता है ॥५॥
Connotation: - परमात्मा की सत्ता से ही सूर्य-चन्द्रमा आदि प्रकाशित होते हैं और वही परमात्मा सब लोकान्तरों का अधिष्ठाता है; उसी में चित्तवृत्ति लगाने से पुरुष आनन्दित होता है, अन्यथा नहीं ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एषः) अयं परमात्मा (सूर्येण हासते) सूर्यमपि स्वतेजसा परिभवति (पवमानः) सर्वं पवित्रयति (अधि द्यवि) द्युलोकादिसमस्तलोकेषु विराजते (पवित्रे मत्सरः मदः) विशुद्धान्तःकरणान्मनुष्यान् स्वानन्देनानन्दयति च ॥५॥