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पव॑स्व दक्ष॒साध॑नो दे॒वेभ्य॑: पी॒तये॑ हरे । म॒रुद्भ्यो॑ वा॒यवे॒ मद॑: ॥

English Transliteration

pavasva dakṣasādhano devebhyaḥ pītaye hare | marudbhyo vāyave madaḥ ||

Pad Path

पव॑स्व । द॒क्ष॒ऽसाध॑नः । दे॒वेभ्यः॑ । पी॒तये॑ । ह॒रे॒ । म॒रुत्ऽभ्यः॑ । वा॒यवे॑ । मदः॑ ॥ ९.२५.१

Rigveda » Mandal:9» Sukta:25» Mantra:1 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:15» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:2» Mantra:1


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ARYAMUNI

मुक्ति का धाम एकमात्र परमात्मा है, अब इस बात का वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - (हरे) हे परमात्मन् ! सब दुखों के हरनेवाले जगदीश्वर ! आप (वायवे) कर्मयोगी पुरुष के लिये (मदः) आनन्दस्वरूप हैं (मरुद्भ्यः) और ज्ञानयोगियों के लिये भी आनन्दस्वरूप हैं आप (देवेभ्यः) उक्त विद्वानों की (पीतये) तृप्ति के लिये (दक्षसाधनः) पर्याप्त साधनोंवाले हैं, इसलिये आप हमें पवित्र करें ॥१॥
Connotation: - परमात्मा के आनन्द का अनुभव केवल ज्ञानयोगी और कर्मयोगी पुरुष ही कर सकते हैं, अन्य नहीं। जो पुरुष अयोगी है अर्थात् जिस पुरुष का किसी तत्त्व के साथ योग नहीं, वह कर्मयोगी व ज्ञानयोगी नहीं बन सकता ॥१॥
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ARYAMUNI

अथ परमात्मा मुक्तिधामत्वेन वर्ण्यते।

Word-Meaning: - (हरे) हे परमात्मन् ! सर्वदुःखहर्तर्जगदीश्वर ! भवान् (वायवे) कर्मयोगिणे पुरुषाय (मदः) आनन्दस्वरूपोऽस्ति (मरुद्भ्यः) ज्ञानयोगिभ्यश्च आनन्दस्वरूपोऽस्ति भवान् (देवेभ्यः) उक्तविदुषां (पीतये) तृप्त्यै (दक्षसाधनः) पर्य्याप्तसाधनोऽस्ति भवान् (पवस्व) अस्मान् पुनातु ॥१॥