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प्र प॑वमान धन्वसि॒ सोमेन्द्रा॑य॒ पात॑वे । नृभि॑र्य॒तो वि नी॑यसे ॥

English Transliteration

pra pavamāna dhanvasi somendrāya pātave | nṛbhir yato vi nīyase ||

Pad Path

प्र । प॒व॒मा॒न॒ । ध॒न्व॒सि॒ । सोम॑ । इन्द्रा॑य । पात॑वे । नृऽभिः॑ । य॒तः । वि । नी॒य॒से॒ ॥ ९.२४.३

Rigveda » Mandal:9» Sukta:24» Mantra:3 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:14» Mantra:3 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:3


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (प्र पवमान) हे परमात्मन् ! (धन्वसि) तुम सर्वत्र गतिशील हो और (सोम इन्द्राय) कर्मयोगी की (पातवे) तृप्ति के लिये तुम ही एकमात्र उपास्य देव हो (यतः) जिसलिये (नृभिः) ऋत्विगादि लोगों के (विनीयसे) विनीतभाव से आप उन्हें प्राप्त होते हैं ॥३॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि जो पुरुष कर्मयोगी व ज्ञानयोगी हैं, उनकी तृप्ति का कारण एकमात्र परमात्मा ही है। तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार परमात्मा में ज्ञान बल क्रिया इत्यादि धर्म स्वभाविक पाये जाते हैं, इसी प्रकार कर्मयोगी और ज्ञानयोगी पुरुष भी साधनसम्पन्न हो कर उन धर्मों को धारण करते हैं ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (प्र पवमान) हे परमात्मन् ! (धन्वसि) भवान् सर्वत्र गमनशीलः (सोम) हे भगवन् ! (इन्द्राय पातवे) कर्मयोगिनः तृप्तये केवलो भवानेवोपास्यः (यतः) यस्मात् (नृभिः) ऋत्विगादिभिः (विनीयसे) विनयेन लभ्यते भवान् ॥३॥