Go To Mantra

ऋ॒भुर्न रथ्यं॒ नवं॒ दधा॑ता॒ केत॑मा॒दिशे॑ । शु॒क्राः प॑वध्व॒मर्ण॑सा ॥

English Transliteration

ṛbhur na rathyaṁ navaṁ dadhātā ketam ādiśe | śukrāḥ pavadhvam arṇasā ||

Pad Path

ऋ॒भुः । न । रथ्य॑म् । नव॑म् । दधा॑त । केत॑म् । आ॒ऽदिशे॑ । शु॒क्राः । प॒व॒ध्व॒म् । अर्ण॑सा ॥ ९.२१.६

Rigveda » Mandal:9» Sukta:21» Mantra:6 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:11» Mantra:6 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:6


Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (शुक्राः) हे पवित्रकारक परमात्मन् ! आप (रथ्यम् नवम्) नये घोड़े को (दधाता) वश में रखते हुए (ऋभुर्न) सारथी की तरह (केतम् आदिशे) आप सबको बश में करके ज्ञानादि ऐश्वर्य देते हैं (अर्णसा) आप हमको धनाद्यैश्वर्य देकर (पवध्वम्) पवित्र करिये ॥६॥
Connotation: - जीव करने में स्वतन्त्र और भोगने में परतन्त्र है। ईश्वर कर्मों के भुगाने में उसे ऐसे नियमों में निगडित रखता है, जिसका वह अतिक्रमण कदापि नहीं कर सकता। बड़े-२ सम्राटों को भी कर्मों का फल अवश्यमेव भोगना पड़ता है। इसी अभिप्राय से यह कहा है कि जिस प्रकार जीवों को अपने अधीन रखता है ॥६॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (शुक्राः) हे पवित्रकारकपरमात्मन् ! भवान् (रथ्यम् नवम्) नवमश्वं (दधाता) वशमानयन् (ऋभुर्न) सारथिरिव सर्वान् वशमानयन् (केतम् आदिशे) ज्ञानमुपदिशति (अर्णसा पवध्वम्) भवान् मां धनाद्यैश्वर्येण तर्पयतु ॥६॥