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पु॒ना॒नो रू॒पे अ॒व्यये॒ विश्वा॒ अर्ष॑न्न॒भि श्रिय॑: । शूरो॒ न गोषु॑ तिष्ठति ॥

English Transliteration

punāno rūpe avyaye viśvā arṣann abhi śriyaḥ | śūro na goṣu tiṣṭhati ||

Pad Path

पु॒ना॒नः । रू॒पे । अ॒व्यव्ये॑ । विश्वाः॑ । अर्ष॑न् । अ॒भि । श्रियः॑ । शूरः॑ । न । गोषु॑ । ति॒ष्ठ॒ति॒ ॥ ९.१६.६

Rigveda » Mandal:9» Sukta:16» Mantra:6 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:6» Mantra:6 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:6


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ARYAMUNI

अब इस बात का कथन करते हैं कि किस प्रकार का शूरवीर युद्ध में उपयुक्त हो सकता है।

Word-Meaning: - (अव्यये रूपे) निराकार परमात्मा के स्वरूप के विश्वास से (पुनानः) जिसने आपको पवित्र किया है (विश्वाः श्रियः) सम्पूर्ण ऐश्वर्यों को (अभ्यर्षन्) धारण करता हुआ भी (न गोषु तिष्ठति) जो इन्द्रिय के वशीभूत नहीं होता, वही (शूरः) वीर कहला सकता है ॥६॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे शूरवीर पुरुषों ! तुम सम्पूर्ण ऐश्वर्यों को भोगते हुए भी इन्द्रिय के वशीभूत लोग शूरवीरता के धर्म को कदापि धारण नहीं कर सकते, इसलिये शूरवीरों के लिये संयमी बनना अत्यावश्यक है ॥६॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अव्यये रूपे) निराकारस्य परमात्मनो विज्ञानेन (पुनानः) येन आत्मा पवित्रीकृतः (विश्वाः श्रियः) सम्पूर्णम् ऐश्वर्य्यं (अभ्यर्षन्) भुञ्जानोऽपि (न गोषु तिष्ठति) य इन्द्रियवशवर्ती न भवति, स एव (शूरः) वीरो भवितुमर्हति ॥६॥