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ए॒ष धि॒या या॒त्यण्व्या॒ शूरो॒ रथे॑भिरा॒शुभि॑: । गच्छ॒न्निन्द्र॑स्य निष्कृ॒तम् ॥

English Transliteration

eṣa dhiyā yāty aṇvyā śūro rathebhir āśubhiḥ | gacchann indrasya niṣkṛtam ||

Pad Path

ए॒षः । धि॒या । या॒ति॒ । अण्व्या॑ । शूरः॑ । रथे॑भिः । आ॒शुऽभिः॑ । गच्छ॑न् । इन्द्र॑स्य । निः॒ऽकृ॒तम् ॥ ९.१५.१

Rigveda » Mandal:9» Sukta:15» Mantra:1 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:5» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:1


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एषः) यह परमात्मा (धिया अण्व्या) सूक्ष्म अपनी धारणाशक्ति से (रथेभिः) सर्वत्र प्राप्त हो रहा है (आशुभिः) अपनी शीघ्रगामिनी शक्तियों से (इन्द्रस्य निष्कृतम्) जीवात्मा के उद्धार के लिये (शूरः) “शृणाति हन्तीति शूरः” अविद्यादि दोषों को हनन करनेवाला (गच्छन्) जगद्रचनारूप कर्म करता है ॥१॥
Connotation: - परमात्मा जीवों को कर्मों का फल भुगाने के लिये इस संसाररूपी रचना को रचता है और अपनी विविध शक्तियों के द्वारा सर्वत्र परिपूर्ण हो रहा है अर्थात् जिस-२ स्थान में परमात्मा की व्यापकता है, उस-२ स्थान में परमात्मा अनन्त शक्तियों के साथ विराजमान है ॥१॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एषः) अयं परमात्मा (धिया अण्व्या) सूक्ष्मया स्वधारणशक्त्या (याति) सर्वत्र प्राप्नोति (रथेभिः) शक्तिभिः (आशुभिः) शीघ्रगाभिः (इन्द्रस्य निष्कृतम्) जीवान् उद्धर्तुम् (शूरः) अविद्यादिदोषान् शमयन् (गच्छन्) जगन्निर्माणरूपकर्म करोति ॥१॥