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वा॒श्रा अ॑र्ष॒न्तीन्द॑वो॒ऽभि व॒त्सं न धे॒नव॑: । द॒ध॒न्वि॒रे गभ॑स्त्योः ॥

English Transliteration

vāśrā arṣantīndavo bhi vatsaṁ na dhenavaḥ | dadhanvire gabhastyoḥ ||

Pad Path

वा॒श्राः । अ॒र्ष॒न्ति॒ । इन्द॑वः । अ॒भि । व॒त्सम् । न । धे॒नवः॑ । द॒ध॒न्वि॒रे । गभ॑स्त्योः ॥ ९.१३.७

Rigveda » Mandal:9» Sukta:13» Mantra:7 | Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:2» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:7


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (धेनवः) इन्द्रियें (न) जिस प्रकार (वत्सम्) अपने प्रिय अर्थ की और जाती हैं, उसी प्रकार (वाश्राः) जो वेदादि शास्त्रों की योनि है, (इन्दवः) वह परमात्मा (अभ्यर्षन्ति) अपने उपासक की ओर जाता है (गभस्त्योः दधन्विरे) और सर्वत्र अपना प्रकाश फैलाता है ॥७॥
Connotation: - उपासक पुरुष जब शुद्ध हृदय से ईश्वर की उपासना करता है, तो ईश्वर का प्रकाश उसको आकर प्रकाशित करता है। ‘उपास्यतेऽनेनेत्युपासनम्’ जिससे ईश्वर की समीपता लाभ की जाय, उस कर्म का नाम उपासन कर्म है। समीपता के अर्थ यहाँ ज्ञान द्वारा समीप होने के हैं, किसी देश द्वारा समीप होने के नहीं, इसलिये जब परमात्मा ज्ञान द्वारा समीप होता है, तो उसका प्रकाश उपासक के हृदय को अवश्यमेव प्रकाशित करता है ॥७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (धेनवः) इन्द्रियाणि (न) यथा (वत्सम्) स्वं प्रियार्थमभियान्ति तथैव (वाश्राः) सर्वशास्त्रयोनिः (इन्दवः) परमात्मा (अभ्यर्षन्ति) स्वोपासकमभियाति (गभस्त्योः) स्वप्रकाशं (दधन्विरे) वितनोति च ॥७॥