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यस्य॑ न॒ इन्द्र॒: पिबा॒द्यस्य॑ म॒रुतो॒ यस्य॑ वार्य॒मणा॒ भग॑: । आ येन॑ मि॒त्रावरु॑णा॒ करा॑मह॒ एन्द्र॒मव॑से म॒हे ॥

English Transliteration

yasya na indraḥ pibād yasya maruto yasya vāryamaṇā bhagaḥ | ā yena mitrāvaruṇā karāmaha endram avase mahe ||

Pad Path

यस्य॑ । नः॒ । इन्द्रः॑ । पिबा॑त् । यस्य॑ । म॒रुतः॑ । यस्य॑ । वा॒ । अ॒र्य॒मणा॑ । भगः॑ । आ । येन॑ । मि॒त्रावरु॑णा । करा॑महे । आ । इन्द्र॑म् । अव॑से । म॒हे ॥ ९.१०८.१४

Rigveda » Mandal:9» Sukta:108» Mantra:14 | Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:19» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:14


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (नः) हमारा स्वामी परमात्मा (यस्य) जिसके आनन्द को (इन्द्रः) कर्मयोगी (पिबात्) पान करते, (यस्य) जिसके आनन्द को (मरुतः) विद्वानों का गण पान करता, (यस्य) जिसके आनन्द को (अर्यमणा) कर्मों के साथ (भगः) कर्मयोगी उपलब्ध करता और (येन) जिससे (मित्रावरुणा) अध्यापक तथा उपदेशक (करामहे) सदुपदेश करते हैं, (महे, अवसे) अत्यन्त रक्षा के लिये (इन्द्रम्) कर्मयोगी को जो उत्पन्न करता है, वही हमारा उपास्य देव है ॥१४॥
Connotation: - जो परमात्मा नाना प्रकार की विद्यायें और इन विद्याओं के वेत्ता कर्मयोगी तथा ज्ञानयोगियों को उत्पन्न करता, जिससे शिक्षा प्राप्त करके अध्यापक तथा उपदेशक धर्मोपदेश करते और जो दुष्टदमन के लिये रक्षक उत्पन्न करता है, वही हमारा पूजनीय देव है, उसी की उपासना करनी योग्य है ॥१४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - यः परमात्मा (नः) अस्माकं स्वामी (यस्य) यस्यानन्दं (इन्द्रः) कर्मयोगी (पिबात्) पिबति (यस्य, मरुतः) यदानन्दं विद्वद्गणः पिबति (यस्य) यदानन्दं (अर्यमणा) कर्मणा सह (भगः) कर्मयोगी पिबति (येन) येन च (मित्रावरुणा) अध्यापकोपदेशकौ (करामहे) सदुपदिशतः (महे, अवसे) अत्यन्तरक्षायै (इन्द्रम्) यः परमात्मा कर्मयोगिनमुत्पादयति स एवास्माभिरुपास्यदेवो ज्ञातव्यः ॥१४॥