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अ॒नू॒पे गोमा॒न्गोभि॑रक्षा॒: सोमो॑ दु॒ग्धाभि॑रक्षाः । स॒मु॒द्रं न सं॒वर॑णान्यग्मन्म॒न्दी मदा॑य तोशते ॥

English Transliteration

anūpe gomān gobhir akṣāḥ somo dugdhābhir akṣāḥ | samudraṁ na saṁvaraṇāny agman mandī madāya tośate ||

Pad Path

अ॒नू॒पे । गोऽमा॑न् । गोभिः॑ । अ॒क्षा॒रिति॑ । सोमः॑ । दु॒ग्धाभिः॑ । अ॒क्षा॒रिति॑ । स॒मु॒द्रम् । न । स॒म्ऽवर॑णानि । अ॒ग्म॒न् । म॒न्दी । मदा॑य । तो॒श॒ते॒ ॥ ९.१०७.९

Rigveda » Mandal:9» Sukta:107» Mantra:9 | Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:13» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:9


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोमः) सर्वोत्पादक परमात्मा (दुग्धाभिः) ज्ञान को दोहन करनेवाली चित्तवृत्तियों द्वारा (अक्षाः) साक्षात्कार को प्राप्त होता है। (गोमान्) वह ज्ञानरूप दीप्तिवाला परमात्मा (गोभिः) अन्तःकरण की वृत्ति द्वारा (अनूपे) अनूपरूपी अन्तःकरण देश में (अक्षाः) प्रवाहित होता है, (न) जैसे (समुद्रम्) समुद्र के अभिमुख (संवरणानि) समुद्र को जानेवाली नदियें (अग्मन्) प्राप्त होती हैं, इसी प्रकार (मन्दी) आनन्दस्वरूप परमात्मा (मदाय) आनन्द के लिये (तोशते) अज्ञानरूपी आवरण को भङ्ग करके साक्षात्कार किया जाता है ॥९॥
Connotation: - इस मन्त्र में अज्ञान को भङ्ग करके परमात्मा का साक्षात्कार करना वर्णन किया गया है ॥९॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोमः) सर्वोत्पादकः परमात्मा (दुग्धाभिः) ज्ञानदोहकचित्तवृत्तिभिः (अक्षाः) साक्षात्क्रियते (गोमान्) ज्ञानरूपदीप्तिमान् सः (गोभिः) अन्तःकरणवृत्तिभिः (अनूपे) अनूपेऽन्तःकरणदेशे (अक्षाः) प्रवाहितो भवति (न) यथा (समुद्रम्) समुद्राभिमुखं (संवरणानि) समुद्रगामिन्यो नद्यः (अग्मन्) प्राप्नुवन्ति, एवमेव (मन्दी) आनन्दमयः स परमात्मा (मदाय) आनन्दाय (तोशते) अज्ञानावरणे भङ्क्त्वा साक्षात्क्रियते ॥९॥