आ न॑: सुतास इन्दवः पुना॒ना धा॑वता र॒यिम् । वृ॒ष्टिद्या॑वो रीत्यापः स्व॒र्विद॑: ॥
English Transliteration
ā naḥ sutāsa indavaḥ punānā dhāvatā rayim | vṛṣṭidyāvo rītyāpaḥ svarvidaḥ ||
Pad Path
आ । नः॒ । सु॒ता॒सः॒ । इ॒न्द॒वः॒ । पु॒ना॒नाः । धा॒व॒त॒ । र॒यिम् । वृ॒ष्टिऽद्या॑वः । री॒ति॒ऽआ॒पः॒ । स्वः॒ऽविदः॑ ॥ ९.१०६.९
Rigveda » Mandal:9» Sukta:106» Mantra:9
| Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:10» Mantra:4
| Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:9
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (इन्दवः) हे प्रकाशस्वरूप ! (सुतासः) सर्वत्र विद्यमान परमात्मन् ! आप (नः) हमको (पुनानाः) पवित्र करते हुए (रयिं) धन को (आधावत) प्राप्त करायें (वृष्टिद्यावः) द्युलोक को लक्ष्य रखकर वृष्टि करनेवाले (रीत्यापः) सर्वव्यापक आप ! (स्वर्विदः) आनन्दस्वरूप हैं, हमको भी आनन्दित करें ॥९॥
Connotation: - जिस प्रकार बाह्य जगत् में परमात्मा की शक्तियों से अनन्त प्रकार की वृष्टि होती है, इसी प्रकार कर्मयोगी और ज्ञानयोगी पुरुषों के अन्तःकरण में परमात्मा की ज्ञानरूपी वृष्टि सदैव होती रहती है, इसको योगशास्त्र की परिभाषा में धर्ममेघसमाधि के नाम से कहा गया है अर्थात् धर्मरूपी मेघ से योगी जन सदैव सुसिञ्चित रहते हैं ॥९॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (इन्दवः) हे प्रकाशस्वरूप ! (सुतासः) सर्वत्र विद्यमानो भवान् (नः) अस्मान् (पुनानाः) पवित्रयन् (रयिम्) धनं (आधावत) प्रापयन्तु (वृष्टिद्यावः) द्युलोकमभिलक्ष्य वर्षणशीलः (रीत्यापः) सर्वगः भवान् (स्वर्विदः) आनन्दमयः मामप्यानन्दयतु ॥९॥