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धी॒भिर्हि॑न्वन्ति वा॒जिनं॒ वने॒ क्रीळ॑न्त॒मत्य॑विम् । अ॒भि त्रि॑पृ॒ष्ठं म॒तय॒: सम॑स्वरन् ॥

English Transliteration

dhībhir hinvanti vājinaṁ vane krīḻantam atyavim | abhi tripṛṣṭham matayaḥ sam asvaran ||

Pad Path

धी॒भिः । हि॒न्व॒न्ति॒ । वा॒जिन॑म् । वने॑ । क्रीळ॑न्तम् । अति॑ऽअविम् । अ॒भि । त्रि॒ऽपृ॒ष्ठम् । म॒तयः॑ । सम् । अ॒स्व॒र॒न् ॥ ९.१०६.११

Rigveda » Mandal:9» Sukta:106» Mantra:11 | Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:11


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (धीभिः) स्तुतियों द्वारा (वाजिनम्) उस बलस्वरूप को (हिन्वन्ति) सर्वोपरिरूप से वर्णन करते हैं। जो परमात्मा (अत्यविं) सबकी रक्षा करनेवाला है (वने क्रीळन्तम्) सर्वत्र विद्यमान है, (त्रिपृष्ठं)  तीनों लोक, तीनों काल और तीनों सवन इत्यादि सर्व त्रिकों में विद्यमान है, उसकी (मतयः) बुद्धिमान् लोग (समस्वरन्) स्तुति करते हैं ॥११॥
Connotation: - परमात्मा कालातीत है अर्थात् भूत, भविष्यत् और वर्तमान ये तीनों काल उसकी इयत्ता अर्थात् हद्द नहीं बाँध सकते। तात्पर्य यह है कि काल की गति कार्य्य पदार्थों में है, कारणों में नहीं, वा यों कहो कि नित्य पदार्थों में काल का व्यवहार नहीं होता, किन्तु अनित्यों में होता है, इसी अभिप्राय से परमात्मा को यहाँ कालातीतरूप से वर्णन किया है ॥११॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (धीभिः) स्तुतिभिः (वाजिनम्) बलस्वरूपं तं विद्वांसः (हिन्वन्ति) सर्वोत्कृष्टत्वेन वर्णयन्ति (अत्यविम्) यः परमात्मा सर्वेषां रक्षकः (वने, क्रीळन्तम्) सर्वत्र जगति विद्यमानः (त्रिपृष्ठम्) लोकत्रयम्, कालत्रयम्, सवनत्रयमित्यादिसर्वत्रिकेषु विराजते तं च (मतयः) बुद्धिमन्तः (समस्वरन्) स्तुवन्ति ॥११॥