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क्रा॒णा शिशु॑र्म॒हीनां॑ हि॒न्वन्नृ॒तस्य॒ दीधि॑तिम् । विश्वा॒ परि॑ प्रि॒या भु॑व॒दध॑ द्वि॒ता ॥

English Transliteration

krāṇā śiśur mahīnāṁ hinvann ṛtasya dīdhitim | viśvā pari priyā bhuvad adha dvitā ||

Pad Path

क्रा॒णा । शिशुः॑ । म॒हीना॑म् । हि॒न्वन् । ऋ॒तस्य॑ । दीधि॑तिम् । विश्वा॑ । परि॑ । प्रि॒या । भु॒व॒त् । अध॑ । द्वि॒ता ॥ ९.१०२.१

Rigveda » Mandal:9» Sukta:102» Mantra:1 | Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:4» Mantra:1 | Mandal:9» Anuvak:6» Mantra:1


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ARYAMUNI

अब परमात्मा के गुणों द्वारा उसकी उपासना कथन करते हैं। अब प्रकृति और जीवरूप से द्वैत का वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - (शिशुः) अति प्रशंसनीय परमात्मा (महीनाम्) बड़े से बड़े पृथिव्यादि लोकों को (क्राणा) रचता हुआ (ऋतस्य) सच्चाई के (दीधितिम्) प्रकाश को (हिन्वन्) प्रेरित करता है और वह (विश्वा, परि) सब लोगों के ऊपर (प्रिया) प्रियभाव (भुवत्) प्रकट करता है (अध) और (द्विता) द्वैतभाव से प्रकृति और जीव द्वारा इस संसार की रक्षा करता है ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में द्वैतवाद का वर्णन स्पष्टरीति से किया गया है ॥१॥
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ARYAMUNI

अथ परमात्मनो गुणगुणिभावेन उपासनमुपदिश्यते। (अथ प्रकृतेर्जीवस्य च द्वैतं वर्ण्यते)

Word-Meaning: - (शिशुः)  प्रशस्यः स परमात्मा (महीनाम्)  महतः पृथिव्यादिलोकान् (क्राणा) रचयन् (ऋतस्य)  सत्यतायाः (दीधितिम्) प्रकाशं (हिन्वन्) प्रेरयति अथ च (विश्वा परि) सर्वजनेषु (प्रिया) प्रियत्वं (भुवत्) प्रकटयति (अध) अथ (द्विता) द्वैतभावेन जीवेन प्रकृत्या च लोकं रक्षति ॥१॥