अ॒भी॒३॒॑ममघ्न्या॑ उ॒त श्री॒णन्ति॑ धे॒नव॒: शिशु॑म् । सोम॒मिन्द्रा॑य॒ पात॑वे ॥
English Transliteration
abhīmam aghnyā uta śrīṇanti dhenavaḥ śiśum | somam indrāya pātave ||
Pad Path
अ॒भि । इ॒मम् । अघ्न्याः॑ । उ॒त । श्री॒णन्ति॑ । धे॒नवः॑ । शिशु॑म् । सोम॑म् । इन्द्रा॑य । पात॑वे ॥ ९.१.९
Rigveda » Mandal:9» Sukta:1» Mantra:9
| Ashtak:6» Adhyay:7» Varga:17» Mantra:4
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:9
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (इमम्) उस (सोमम्) सौम्य स्वभाववाले श्रद्धालु पुरुष को (शिशुम्) कुमारावस्था में ही (अभि) सब प्रकार से (अघ्न्याः) अहिंसनीय (धेनवः) गौवें (श्रीणन्ति) तृप्त करती हैं (इन्द्राय) ऐश्वर्य्य की (पातवे) वृद्धि के लिये। (उत) अथवा उक्त श्रद्धालु पुरुष को अहिंसनीय वाणियें ऐश्वर्य्य की प्राप्ति के लिये संस्कृत करती हैं (वाचं धेनुमुपासीत) शतप० ॥९॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि जो पुरुष श्रद्धा के भाववाले हैं, उनको गौ आदि ऐश्वर्य्य और सदुपदेशरूपी पवित्र वाणियें उनकी रक्षा के लिये सदा उद्यत रहती हैं। इस मन्त्र में गौ को (अघ्न्या)=अहिंसनीय माना गया है; इससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि गौ मेघ आदि यज्ञों के अर्थ किसी हिंसाप्रधान यज्ञ के नहीं, किन्तु गाव इन्द्रियाणि मेध्यन्ते यस्मिन् स गोमेधः, जिसमें ज्ञानयज्ञ द्वारा इन्द्रियाँ पवित्र की जाएँ, उसका नाम गोमेध है। इसी प्रकार अश्वेमेध नरमेध आदि यज्ञ भी ज्ञानप्रधान यज्ञों के ही बोधक हैं, हिंसारूप यज्ञों के बोधक नहीं ॥९॥
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Word-Meaning: - (इमम्) अमुम् (सोमम्) सौम्यस्वभावं श्रद्धालुं पुरुषम् (शिशुम्) शैशव एव (अभि) सर्वप्रकारेण (अघ्न्याः) अहिंसनीयाः (धेनवः) गावः (श्रीणन्ति) तर्पयन्ति (इन्द्राय) ऐश्वर्य्यम् (पातवे) वर्द्धयितुम् (उत) अथवा उक्तश्रद्धालुं पुरुषम् अहिंसनीया वाच ऐश्वर्य्यप्राप्तये संस्कृतं कुर्वन्ति ॥९॥