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न॒ह्य१॒॑न्यं ब॒ळाक॑रं मर्डि॒तारं॑ शतक्रतो । त्वं न॑ इन्द्र मृळय ॥

English Transliteration

nahy anyam baḻākaram marḍitāraṁ śatakrato | tvaṁ na indra mṛḻaya ||

Pad Path

न॒हि । अ॒न्यम् । ब॒ला । अक॑रम् । म॒र्डि॒तार॑म् । श॒त॒क्र॒तो॒ इति॑ शतऽक्रतो । त्वम् । नः॒ । इ॒न्द्र॒ । मृ॒ळ॒य॒ ॥ ८.८०.१

Rigveda » Mandal:8» Sukta:80» Mantra:1 | Ashtak:6» Adhyay:5» Varga:35» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:8» Mantra:1


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (सोम) हे सर्वप्रिय देव ! ध्यान के द्वारा (हृदे) हृदय में धारित तू (नः) हम लोगों का (शं) कल्याणकारी (भव) हो (नः) हम लोगों का तू (सुशेवः) सुखकारी है। (मृळयाकुः) आनन्ददायी का (अदृप्तक्रतुः) शान्तकर्मा और (अवातः) वायु आदि से रहित है ॥७॥
Connotation: - जब उपासना द्वारा परमात्मा हृदय में विराजमान होता है, तब ही वह सुखकारी होता है ॥७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे सोम ! त्वं ध्यानेन। हृदे=हृदये धारितः सन्। शं=कल्याणकारी। नः=अस्माकं भव। नः=अस्माकम्। सुशेवः=परमसुखकारी। मृळयाकुः=आनन्दकारी। अदृप्तक्रतुः=शान्तिकर्मा। पुनः। अवातः=बाह्यवायुरहितः ॥७॥