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अ॒यं कृ॒त्नुरगृ॑भीतो विश्व॒जिदु॒द्भिदित्सोम॑: । ऋषि॒र्विप्र॒: काव्ये॑न ॥

English Transliteration

ayaṁ kṛtnur agṛbhīto viśvajid udbhid it somaḥ | ṛṣir vipraḥ kāvyena ||

Pad Path

अ॒यम् । कृ॒त्नुः । अगृ॑भीतः । वि॒श्व॒ऽजित् । उ॒त्ऽभित् । इत् । सोमः॑ । ऋषिः॑ । विप्रः॑ । काव्ये॑न ॥ ८.७९.१

Rigveda » Mandal:8» Sukta:79» Mantra:1 | Ashtak:6» Adhyay:5» Varga:33» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:8» Mantra:1


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (सोम) हे सर्वपदार्थमय देव ! (त्वे) तुममें (विश्वा) सर्व प्रकार के (वसूनि) धन (सङ्गता) विद्यमान हैं और सर्वप्रकार के (सौभगा) सौभाग्य तुममें संगत हैं, इस हेतु हे ईश ! (सुदातु) सब प्रकार के दान (अपरिह्वृता) सहज हैं ॥८॥
Connotation: - जिस कारण सम्पूर्ण संसार का अधिपति वह परमात्मा है, अतः उसके लिये दान देना कठिन नहीं। यदि हम मानव अन्तःकरण से अपना अभीष्ट माँगें, तो वह अवश्य उसको पूर्ण करेगा ॥८॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे सोम=सर्वपदार्थमय देव ! त्वे=त्वै। विश्वा=सर्वाणि। वसूनि=धनानि। सङ्गता संगतानि। च=पुनः। सर्वाणि। सौभगा=सौभाग्यानि। अत एव। सुदातु=सुदानानि। अपरिह्वृता=अकुटिलानि=सुकराणि ॥८॥