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तेन॑ स्तो॒तृभ्य॒ आ भ॑र॒ नृभ्यो॒ नारि॑भ्यो॒ अत्त॑वे । स॒द्यो जा॒त ऋ॑भुष्ठिर ॥

English Transliteration

tena stotṛbhya ā bhara nṛbhyo nāribhyo attave | sadyo jāta ṛbhuṣṭhira ||

Pad Path

तेन॑ । स्तो॒तृऽभ्यः॑ । आ । भ॒र॒ । नृऽभ्यः॑ । नारि॑ऽभ्यः । अत्त॑वे । स॒द्यः । जा॒तः । ऋ॒भु॒ऽस्थि॒र॒ ॥ ८.७७.८

Rigveda » Mandal:8» Sukta:77» Mantra:8 | Ashtak:6» Adhyay:5» Varga:30» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:8» Mantra:8


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (इन्द्रः) जो राज (ब्रह्मभ्यः+इद्+वृधे) वेदों, सद्धर्म्मों और धर्म्मग्राही पुरुषों की वृद्धि के लिये ही (अबुध्नेषु) मूलरहित निराधार (रजःसु) लोकों में (गन्धर्वम्) केवल शरीरपोषक स्वार्थपरायण विषयी पुरुषों को (अभि+आ+अतृणत्) फेंक देता है, वह प्रशंसनीय होता है ॥५॥
Connotation: - राजा का यह एक मुख्य कार्य्य है कि धर्म्म के प्रचारार्थ तद्विरोधियों का शासन किया करे, परन्तु इसके पूर्व धर्म्म क्या वस्तु है, इसको अपने अनुभव और विज्ञान-बल से निश्चित करे ॥५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - य इन्द्रो राजा। ब्रह्मभ्यः+इद्वृधे=वेदेभ्य एव वर्धनाय। अबुध्नेषु=पदनिधानयोग्यस्थानरहितेषु। रजःसु=लोकेषु। गन्धर्वम्=उदरम्भरिणं स्वार्थिनम्। अभ्यातृणत्=सर्वतो हिनस्ति प्रक्षिपति। स प्रशंसनीयो भवति ॥५॥