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नि यद्यामा॑य वो गि॒रिर्नि सिन्ध॑वो॒ विध॑र्मणे । म॒हे शुष्मा॑य येमि॒रे ॥

English Transliteration

ni yad yāmāya vo girir ni sindhavo vidharmaṇe | mahe śuṣmāya yemire ||

Pad Path

नि । यत् । यामा॑य । वः॒ । गि॒रिः । नि । सिन्ध॑वः । विऽध॑र्मणे । म॒हे । शुष्मा॑य । ये॒मि॒रे ॥ ८.७.५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:18» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:5


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः उसी अर्थ को कहते हैं।

Word-Meaning: - (मरुतः) हे मरुतो ! (यद्) जिस कारण (वः) आपके (यामाय) गमन के लिये (गिरिः) पर्वत और मेघ आदि बाधक (नि+येमिरे) नम्र हो जाते हैं और (सिन्धवः) स्यन्दनशील समुद्र या नदियाँ आपके (विधर्मणे) धारण करनेवाले (महे) महान् (शुष्माय) बल के सामने (नि+येमिरे) नम्र हो जाते हैं, अतः आप महान् हैं ॥५॥
Connotation: - जब झञ्झावायु बड़े वेग से चलता है, तब पर्वतों की बड़ी-२ शिलाएँ गिरने लगती हैं, वृक्ष उखड़कर गिर पड़ते हैं, समुद्र भी मानो, उसके सामने झुक जाते हैं। यह प्राकृत दृश्य का वर्णन है ॥५॥
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ARYAMUNI

अब उत्साही और साहसी सैनिकों का महत्त्व वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - (यत्) जो (वः, विधर्मणे, यामाय) प्रतिपक्षी से विरुद्ध धर्मवाले आपके वाहन तथा (महे, शुष्माय) महान् बल के लिये (गिरिः) पर्वत (नियेमिरे) स्थगित हो जाते (सिन्धवः) और नदियें भी (नि) स्थगित हो जाती हैं, ऐसा आपका पराक्रम है ॥५॥
Connotation: - अत्यन्त उत्साही तथा साहसी सैनिकों के आगे नदियें और पर्वत भी मार्ग छोड़ देते हैं। इस मन्त्र में उत्साह का वर्णन किया है ॥५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तमर्थमाह।

Word-Meaning: - हे मरुतः। यद्=यस्मात् कारणात्। वः=युष्माकम्। यामाय=गमनाय। गिरिः=गिरयः=पर्वताः। सुपां सुलुगिति जसः सुः। नियेमिरे=नितरां नम्रा भवन्ति। पुनः। सिन्धवः=स्यन्दनशीलाः समुद्राः। विधर्मणे=विधारद्याथ। महे=महते। शुष्माय=बलाय च। नियेमिरे। अतो यूयं श्रेष्ठा इत्यर्थः ॥५॥
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ARYAMUNI

अथोत्साहसाहसयुक्तसैनिकानां महत्त्वं वर्ण्यते।

Word-Meaning: - (यत्) यतः (वः, विधर्मणे, यामाय) शत्रुविरुद्धधर्माय युष्माकं वाहनाय (महे, शुष्माय) महते बलाय च (गिरिः) पर्वताः (नियेमिरे) नियता भवन्ति (सिन्धवः) नद्यश्च (नि) नियता भवन्ति, ईदृशा यूयम् ॥५॥