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यदे॑षां॒ पृष॑ती॒ रथे॒ प्रष्टि॒र्वह॑ति॒ रोहि॑तः । यान्ति॑ शु॒भ्रा रि॒णन्न॒पः ॥

English Transliteration

yad eṣām pṛṣatī rathe praṣṭir vahati rohitaḥ | yānti śubhrā riṇann apaḥ ||

Pad Path

यत् । ए॒षा॒म् । पृष॑तीः । रथे॑ । प्रष्टिः॑ । वह॑ति । रोहि॑तः । यान्ति॑ । शु॒भ्राः । रि॒णन् । अ॒पः ॥ ८.७.२८

Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:28 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:23» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:28


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SHIV SHANKAR SHARMA

प्राणायाम का फल दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (यद्) जब (प्रष्टिः) अतिशीघ्रगामी (रोहितः) ईश्वर की ओर रागवान् मन (एषाम्) इन प्राणों के (रथे) रमणीय शरीर में स्थित (पृषतीः) जलपूर्ण नाड़ियों अथवा इन्द्रियों की गतियों को (वहति) ईश्वर की ओर ले चलता है, तब (शुभ्राः) शुद्ध=सात्त्विक (अपः) करुणरसपूर्ण जल (यान्ति) निकल आते हैं, (रिणन्) अवश्य निकलते हैं ॥२८॥
Connotation: - जब भगवान् की ओर मन जाता है, तब नयन से करुणरस निकलने लगते हैं ॥२८॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (यत्) जब (एषाम्) इनको (प्रष्टिः) शीघ्रगामी सारथी (रथे) रथ में चढ़ाकर (पृषती) जलसम्बन्धी स्थलियों की ओर (वहति) ले जाता है, तब वे (शुभ्राः, अपः) जलों को स्वच्छ (रिणन्) करते हुए (यान्ति) जाते हैं ॥२८॥
Connotation: - इस मन्त्र का भाव यह है कि पदार्थविद्यावेत्ता पुरुषों का यह भी कर्तव्य है कि वह युद्धसम्बन्धी जलों का भी संशोधन करें, ताकि किसी प्रकार का जलसम्बन्धी रोग उत्पन्न न हो ॥२८॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

प्राणायामफलं दर्शयति।

Word-Meaning: - यद्=यदा। एषां मरुताम्=प्राणानाम्। रथे=रमणीये शरीरे। स्थिताः। पृषतीः=जलपूर्णा नाडीः इन्द्रियाणां गतीर्वा। प्रष्टिः=प्राशुः=शीघ्रगामी। रोहितो रागवन्मनः। वहति। तदा। शुभ्राः=शुद्धाः=सात्त्विकाः। अपः=आपो जलानि। यान्ति। रिणन्=निर्गच्छन्ति=प्रवहन्ति ॥२८॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (यत्) यदा (एषाम्) इमान् “कर्मणि षष्ठी” (प्रष्टिः) शीघ्रगामी सारथिः (रथे) रथे उपवेश्य (पृषतीः) सेचनीयस्थलीः प्रति (वहति) प्रापयति तदा (शुभ्राः, अपः) स्वच्छजलानि (रिणन्) उत्पादयन्तः (यान्ति) गच्छन्ति ॥२८॥