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यद॒ङ्ग त॑विषीयवो॒ यामं॑ शुभ्रा॒ अचि॑ध्वम् । नि पर्व॑ता अहासत ॥

English Transliteration

yad aṅga taviṣīyavo yāmaṁ śubhrā acidhvam | ni parvatā ahāsata ||

Pad Path

यत् । अ॒ङ्ग । त॒वि॒षी॒ऽय॒वः॒ । याम॑म् । शुभ्राः॑ । अचि॑ध्वम् । नि । पर्व॑ताः । अ॒हा॒स॒त॒ ॥ ८.७.२

Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:18» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:2


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SHIV SHANKAR SHARMA

प्राणायाम का फल कहते हैं।

Word-Meaning: - (अङ्ग) हे (तविषीयवः) बलयुक्त (शुभ्राः) शुद्ध प्राणो ! (यद्) जब आप (यामम्) प्राणायाम का (अचिध्वम्) संग्रह करते हैं, यद्वा संसार को नियम में रखनेवाले परमात्मा को जानते हैं, तब (पर्वताः) नयन आदि पर्ववाले शिर (नि+अहासत) ईश्वराभिमुख हो जाते हैं ॥२॥
Connotation: - तविषीयु=यद्यपि प्राण स्वतः बलवान् हैं, तथापि इनको नाना उपायों से बलिष्ठ बनाना चाहिये और जब ये शुद्ध पवित्र होंगे, तब ही वे ईश्वर की ओर जायेंगे। पर्वत=जिसमें पर्व हो, वह पर्वत। मानो नयन आदि एक-२ पर्व है, अतः शिर का नाम पर्व है। भौतिक अर्थ में हिमालय आदि पर्वत और मेघ आदि अर्थ हैं ॥२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अङ्ग) हे योद्धा लोगो ! (यद्) जब (शुभ्राः) शोभायुक्त आप (तविषीयवः) दूसरों के बल को ढूँढ़ते हुए (यामम्, अचिध्वम्) वाहनों को इकट्ठा करते हैं, तब (पर्वताः) शत्रुओं के दुर्ग (न्यहासत) काँपने लगते हैं ॥२॥
Connotation: - सैनिक नेताओं को चाहिये कि वह उसी को सर्वोपरि दुर्ग समझें, जो साधनसामग्रीप्रधान दुर्ग है अर्थात् मनुष्यों का दुर्ग, यानों का दुर्ग और अश्वादि सेना संरक्षक पशुओं का दुर्ग सर्वोपरि कहलाता है। यहाँ पर्वत शब्द से दुर्ग का ग्रहण है, क्योंकि “पर्वाणि सन्ति अस्येति पर्वतः”=जिसके पर्व होते हैं, उसी को दुर्ग कहते हैं ॥२॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

प्राणायामफलमाह।

Word-Meaning: - अङ्गेति सम्बोधनार्थः। अङ्ग=हे तविषीयवः= “तवषीति बलनाम” तां कामयमानाः=बलयुक्ता वा। हे शुभ्राः=श्वेताः=शुद्धाः प्राणाः। यद्=यदा। यामम्= प्राणायामम्। नियमनकर्तारं परमात्मानं वा। अचिध्वम्=चिनुथ=जानीथ। तदा। पर्वताः=पर्ववन्ति शिरांसि। न्यहासत=ईश्वराभिमुखं गच्छन्ति। ओहाङ् गतौ ॥२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अङ्ग) हे योधाः (यद्) यदा (शुभ्राः) शोभना यूयम् (तविषीयवः) अन्येषां बलं मार्गयन्तः (यामम्, अचिध्वम्) रथादिवाहनं चिनुथ तदा (पर्वताः) परेषां दुर्गाणि (न्यहासत) कम्पन्ते ॥२॥