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त्रीणि॒ सरां॑सि॒ पृश्न॑यो दुदु॒ह्रे व॒ज्रिणे॒ मधु॑ । उत्सं॒ कव॑न्धमु॒द्रिण॑म् ॥

English Transliteration

trīṇi sarāṁsi pṛśnayo duduhre vajriṇe madhu | utsaṁ kavandham udriṇam ||

Pad Path

त्रीणि॑ । सरां॑सि । पृश्न॑यः । दु॒दु॒ह्रे । व॒ज्रिणे॑ । मधु॑ । उत्स॑म् । कव॑न्धम् । उ॒द्रिण॑म् ॥ ८.७.१०

Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:10 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:19» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:10


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः उसी अर्थ को कहते हैं।

Word-Meaning: - (पृश्नयः) आन्तरिक शक्तियाँ अथवा प्राकृत जगत् (वज्रिणे) महादण्डधारी जीवात्मा के लिये (त्रीणि+सरांसि) तीन सरोवर (मधु) मधुर पदार्थ (दुदुह्रे) दुहते हैं एक (उत्सम्) बहनेवाला, दूसरा (कवन्धम्) शरीर में बंधा हुआ और तीसरा (उद्रिणम्) उड़नेवाला ॥१०॥
Connotation: - तीन सरोवर=कर्मेन्द्रिय, ज्ञानेन्द्रिय और अन्तरिन्द्रिय अर्थात् मन आदि भीतर के इन्द्रिय। इन तीनों की जो वृत्तियाँ, वे ही तीन सरोवर हैं। इनकी वृत्तियाँ यदि शुभकर्म में लगाई जाएँ, तो वे मधुर फल देती हैं। वे तीनों तीन प्रकार की हैं। ज्ञानेन्द्रिय उत्स अर्थात् इतश्चेतश्च बहनेवाले हैं। कर्मेन्द्रिय कबन्ध अर्थात् शरीर में ही बद्ध हैं और अन्तःकरण मन आदि उद्रिण अर्थात् उड़नेवाले हैं। हे मनुष्यों ! इनको वश में करके मधुरफल चाखो ॥१०॥
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ARYAMUNI

अब माताओं का पुत्रों के लिये युद्धार्थ सन्नद्ध करना कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (पृश्नयः) योधाओं की माताएँ (वज्रिणे) वज्रशक्तिवाले अपने पुत्रों के लिये (त्रीणि, सरांसि) तीन पात्रों को (दुदुह्रे) दुहती हैं, वे कौन (मधु, उत्सं) मधुर उत्साहपात्र (कबन्धम्) धृतिपात्र (उद्रिणम्) स्नेहपात्र ॥१०॥
Connotation: - उक्त विद्युत् शस्त्रवाले वज्री योद्धाओं की माताएँ मीठे वचनों से युद्ध की शिक्षायें देतीं और उत्साह बढ़ाकर तथा जाति में स्नेह बढ़ाकर युद्ध के लिये सन्नद्ध करती हैं ॥१०॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तमर्थमाह।

Word-Meaning: - त्रीणि सरांसि=कर्मेन्द्रियज्ञानेन्द्रियान्तरिन्द्रियवृत्तय एव तानि त्रीणि सरांसि। ताश्च वृत्तयः सुष्ठु प्रयुक्ता मधुरायन्ते। वज्री=दण्डधारी जीवात्मा। अथ ऋगर्थः। पृश्नयः=मातरः=आन्तरिकशक्तयः। इन्द्रियाणि वा। वज्रिणे=आत्मने=इन्द्राय। त्रीणि सरांसि। मधु=मधुरं वस्तु। दुदुह्रे=दुदुहिरे=दुहन्ति। तानि कानि। उत्समुत्स्रवणशीलमेकम्। द्वितीयं कवन्धम्=के=शरीरे बद्धम्। तृतीयमुद्रिणमुत्पतनशीलम् ॥१०॥
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ARYAMUNI

अथ मातरः पुत्रान् योद्धुं सन्नद्धान् कुर्वन्तीति कथ्यते।

Word-Meaning: - (पृश्नयः) योद्धृमातरः (वज्रिणे) वज्रशक्तिमते स्वपुत्राय (त्रीणि, सरांसि) त्रीणि पात्राणि (दुदुह्रे) दुहन्ति, कानि (मधु) मधुरम् (उत्सम्) उत्साहम् (कबन्धम्) धृतिम् (उद्रिणम्) स्नेहं च ॥१०॥