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यस्य॑ ते स्वा॒दु स॒ख्यं स्वा॒द्वी प्रणी॑तिरद्रिवः । य॒ज्ञो वि॑तन्त॒साय्य॑: ॥

English Transliteration

yasya te svādu sakhyaṁ svādvī praṇītir adrivaḥ | yajño vitantasāyyaḥ ||

Pad Path

यस्य॑ । ते॒ । स्वा॒दु । स॒ख्यम् । स्वा॒द्वी । प्रऽनी॑तिः । अ॒द्रि॒ऽवः॒ । य॒ज्ञः । वि॒त॒न्त॒साय्यः॑ ॥ ८.६८.११

Rigveda » Mandal:8» Sukta:68» Mantra:11 | Ashtak:6» Adhyay:5» Varga:3» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:11


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (शवसान) हे बलाधिदेव हे महाशक्ते हे सर्वशक्ते जगदीश ! (यस्य+ते) जिस तेरी (सख्यम्) मैत्री को कोई भी (मर्त्यः) मरणधर्मी मनुष्य कदापि भी (न+आनंश) प्राप्त न कर सका। तब मैं आपकी मैत्री प्राप्त करूँगा, इसकी कौन सी आशा है, तथापि मैं आपकी ही स्तुति करता हूँ। हे भगवन् (नकिः) कोई मनुष्य या देवगण (ते+शवांसि) आपकी उन शक्तियों को भी (नशत्) प्राप्त नहीं कर सकता ॥८॥
Connotation: - वह जगदीश अनन्त शक्तिसम्पन्न है। उसी की शक्ति की मात्रा से यह समस्त जगत् शक्तिमान् हो रहा है, तब उसको कौन पा सकता है। उसकी मैत्री परम पवित्र शुद्ध सत्यवादी पा सकते हैं, किन्तु वैसे नर विरले हैं ॥८॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे शवसान=बलाधिदेव महाशक्ते सर्वशक्ते जगदीश ! न कश्चिन् मर्त्यः=मनुष्यः। यस्य+ते=तव। सख्यम्=मैत्रीम्। आनंश=प्राप। ते=तव। शवांसि=बलानि च। नकिः=न कश्चित्। नशत्=प्राप्नोति। ईदृशो महानसि ॥८॥