Devata: आदित्याः
Rishi: मत्स्यः साम्मदो मान्यो वा मैत्रावरुणिर्बहवो वा मत्स्या जालनध्दाः
Chhanda: गायत्री
Swara: षड्जः
मा न॒: सेतु॑: सिषेद॒यं म॒हे वृ॑णक्तु न॒स्परि॑ । इन्द्र॒ इद्धि श्रु॒तो व॒शी ॥
English Transliteration
mā naḥ setuḥ siṣed ayam mahe vṛṇaktu nas pari | indra id dhi śruto vaśī ||
Pad Path
मा । नः॒ । सेतुः॑ । सि॒से॒त् । अ॒यम् । म॒हे । वृ॒ण॒क्तु॒ । नः॒ । परि॑ । इन्द्रः॑ । इत् । हि । श्रु॒तः । व॒शी ॥ ८.६७.८
Rigveda » Mandal:8» Sukta:67» Mantra:8
| Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:52» Mantra:3
| Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:8
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - (आदित्यासः) हे राज्यसभासदों ! (हथात्+पुरा) प्रजाओं में उपद्रवों और विघ्नों के आने के पहले ही (नः+जीवान्) हम जीते हुए जनों के उद्धार के लिये (अभि+धेतन) चारों ओर से दौड़ कर आवें, (हवनश्रुतः) हे प्रार्थनाओं के श्रोताओ ! (कत्+ह+स्थ) आप मन में विचार करें कि आप कौन हैं अर्थात् आप इसी कार्य के लिये सभासद् नियुक्त हुए हैं। प्रजाओं के प्रार्थनापत्र आप ही सुनते हैं। यदि इस कार्य्य में आपकी शिथिलता हुई, तो कितनी हानि होगी, इसको सोचिये। आपके किंचित् आलस्य से प्रजाओं में महान् मृत्यु उपस्थित होगी ॥५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे आदित्यासः=आदित्याः=सभासदः ! पुरा+हथात्= हननात्। पूर्वमेव। जीवान्=जीवितान्। नः=अस्मान्। अभि+धेतन=अभिधावत। हे हवनश्रुतः=आह्वानश्रोतारः= प्रार्थनाश्रोतारः ! कत् ह=के खलु स्थ ॥५॥