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अ॒स्य वृष्णो॒ व्योद॑न उ॒रु क्र॑मिष्ट जी॒वसे॑ । यवं॒ न प॒श्व आ द॑दे ॥

English Transliteration

asya vṛṣṇo vyodana uru kramiṣṭa jīvase | yavaṁ na paśva ā dade ||

Pad Path

अ॒स्य । वृष्णः॑ । वि॒ऽओद॑ने । उ॒रु । क्र॒मि॒ष्ट॒ । जी॒वसे॑ । यव॑म् । न । प॒श्वः । आ । द॒दे॒ ॥ ८.६३.९

Rigveda » Mandal:8» Sukta:63» Mantra:9 | Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:43» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:9


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SHIV SHANKAR SHARMA

उसी का महत्त्व दिखलाया जाता है।

Word-Meaning: - (इन्द्रे) इसी परमात्मा में (विश्वानि+वीर्य्या) सर्व सामर्थ्य विद्यमान हैं, जो सामर्थ्य (कृतानि) पूर्व समय में दिखलाए गए और हो चुके हैं और (कर्त्वानि+च) कर्त्तव्य हैं, (अर्काः) अर्चनीय और माननीय आचार्य्यादिक (यम्) जिसको (अध्वरम्+विदुः) अहिंसक कृपालु और पूज्यतम समझते हैं ॥६॥
Connotation: - सृष्टि आदि की रचना पूर्वकाल में हो चुकी है और कितने लोक-लोकान्तर अब भी बन रहे हैं और कितने अभी होनेवाले हैं, ये सब ही उसी का महत्त्व है, अतः उसी को गाओ ॥६॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

तस्यैव महत्त्वं प्रदर्श्यते।

Word-Meaning: - अस्मिन्नेव इन्द्रे=परमात्मनि। विश्वानि=सर्वाणि। वीर्य्या=वीर्य्याणि=शक्तयः। विद्यन्ते। यानि वीर्य्याणि प्रागेव कृतानि=साधितानि। यानि चाग्रे कर्त्वानि=कर्त्तव्यानि वर्तन्ते। अर्काः=अर्चनीयाः। आचार्य्यादयः। यमध्वरम्=अहिंसकं पूज्यतमञ्च। विदुः=जानन्ति ॥६॥