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अ॒स्माकं॑ त्वा सु॒ताँ उप॑ वी॒तपृ॑ष्ठा अ॒भि प्रय॑: । श॒तं व॑हन्तु॒ हर॑यः ॥

English Transliteration

asmākaṁ tvā sutām̐ upa vītapṛṣṭhā abhi prayaḥ | śataṁ vahantu harayaḥ ||

Pad Path

अ॒स्माक॑म् । त्वा॒ । सु॒तान् । उप॑ । वी॒तऽपृ॑ष्ठाः । अ॒भि । प्रयः॑ । श॒तम् । व॒ह॒न्तु॒ । हर॑यः ॥ ८.६.४२

Rigveda » Mandal:8» Sukta:6» Mantra:42 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:42


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SHIV SHANKAR SHARMA

इस ऋचा से ईश के दर्शन के लिये प्रार्थना करते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र ! (अस्माकम्) हमारे (शतम्) अनेकों (वीतपृष्ठाः) शान्त और पवित्र (हरयः) इन्द्रिय (त्वा) तुझको (सुतान्) निखिल पदार्थों की ओर और (प्रयः) खाद्य पदार्थ की ओर (वहन्तु) ले आवें=प्रकाशित करें ॥४२॥
Connotation: - जब हमारे इन्द्रिय शुद्ध, पवित्र और वशीभूत होते हैं, तब वे ईश के गुणों को प्रकाशित करने में समर्थ होते हैं, अतः प्रथम इन्द्रियों को वश में करो, यह शिक्षा इससे देते हैं ॥४२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अस्माकम्, सुतान्, उप) हमारे संस्कृतस्वभावों के अभिमुख तथा (प्रयः, अभि) हवि के अभिमुख (वीतपृष्ठाः) मनोहर स्वरूपवाली (हरयः) हरणशील शक्तियें (त्वा) आपको (वहन्तु) प्राप्त कराएँ ॥४२॥
Connotation: - हे यज्ञस्वरूप परमात्मन् ! हमारा भाव तथा हव्य पदार्थ, जो आपके निमित्त यज्ञ में हुत किये जाते हैं, इत्यादि भाव आपको प्राप्त कराएँ अर्थात् ऐसी कृपा करें कि वैदिक कर्मों का अनुष्ठान हमारे लिये सुखप्रद हो ॥४२॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

अनयेशदर्शनाय प्रार्थ्यते।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! अस्माकं शतमनेके। हरयः=इन्द्रियाणि। त्वा=त्वाम्। सुतान्=पदार्थान्। उप=उपलक्ष्य। प्रयोऽन्नं खाद्यं वस्तु। अभि=अभिलक्ष्य च। वहन्तु=आनयन्तु=प्रकाशयन्तु। कीदृशा हरयः। वीतपृष्ठाः=शुद्धपृष्ठाः=शान्ता इत्यर्थः ॥४२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अस्माकम्, सुतान्, उप) अस्माकं संस्कृतस्वभावान् उपलक्ष्य (प्रयः, अभि) अस्मदीयं हविरभिलक्ष्य (वीतपृष्ठाः) कमनीयस्वरूपाः (हरयः) हरणशीलशक्तयः (त्वा) त्वाम् (वहन्तु) आप्रापयन्तु ॥४२॥