Go To Mantra

वा॒वृ॒धा॒न उप॒ द्यवि॒ वृषा॑ व॒ज्र्य॑रोरवीत् । वृ॒त्र॒हा सो॑म॒पात॑मः ॥

English Transliteration

vāvṛdhāna upa dyavi vṛṣā vajry aroravīt | vṛtrahā somapātamaḥ ||

Pad Path

व॒वृ॒धा॒नः । उप॑ । द्यवि॑ । वृषा॑ । व॒ज्री । अ॒रो॒र॒वी॒त् । वृ॒त्र॒ऽहा । सो॒म॒ऽपात॑मः ॥ ८.६.४०

Rigveda » Mandal:8» Sukta:6» Mantra:40 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:16» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:40


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

इससे ईश्वर का न्याय दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - परमात्मा महादण्डधारी और सबका शासक है, यह शिक्षा इससे दी जाती है। जैसे−वह इन्द्र (वज्री) पापियों के प्रति महादण्डधारी है। पुनः (वृषा) शिष्टों के प्रति आनन्दों की वर्षा देनेवाला है। पुनः (वृत्रहा) निखिल विघ्नों और दुष्टों को विनाश करनेवाला है। पुनः (सोमपातमः) निखिल पदार्थों को कृपादृष्टि से देखनेवाला है। ऐसा इन्द्र (वावृधानः) सब वस्तुओं को बढ़ाता हुआ (द्यवि) सर्वोपरि लोक में तथा (उप) सबके समीप में निवासकर (अरोरवीत्) शब्द करता है। अर्थात् प्रकृति के द्वारा सर्वत्र अपना भाव प्रकाशित कर रहा है ॥४०॥
Connotation: - ईश का न्याय प्रकृति में सर्वत्र विकीर्ण है, उसको जानो। जानकर अबोधों को सिखलाओ और उसकी कृपा दिखलाओ ॥४०॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (उपद्यवि) अन्तरिक्ष से भी ऊपर (वावृधानः) वृद्धि को प्राप्त (वृषा) इष्टकामनाओं की वर्षा करनेवाला (वज्री) वज्रशक्तिवाला (वृत्रहा) अज्ञाननाशक (सोमपातमः) अत्यन्त सौम्यस्वभाव का अनुगामी परमात्मा (अरोरवीत्) अत्यन्त शब्दायमान हो रहा है ॥४०॥
Connotation: - वह परमपिता परमात्मा, जो सर्वत्र विराजमान तथा सबसे बड़ा है, वही सबकी कामनाओं को पूर्ण करनेवाला, सर्वशक्तिसम्पन्न, अज्ञान का नाशक और जो सर्वत्र शब्दायमान हो रहा है, वही हमको वैदिकपथ पर चलानेवाला और शुभ मार्गों में प्रेरक है ॥४०॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

अनयेश्वरन्यायं दर्शयति।

Word-Meaning: - परमात्मा महादण्डधरः सर्वेषां शासकश्चेति शिक्षते। यथा। स इन्द्रः। वज्री=पापान् प्रति वज्रदण्डधरोऽस्ति। पुनः। वृषा=शिष्टान् प्रति आनन्दानां वर्षयिताऽस्ति। पुनः। वृत्रहा=वृत्राणां दुष्टानां सर्वेषां विघ्नानाञ्च। हा=घातकः। “वृत्राणि वृत्रान् वा हन्तीति वृत्रहा”। पुनः। सोमपातमः=सोमानां सर्वेषां पदार्थानामतिशयेन अनुग्राहकः पालको वा। सोमान् पदार्थान् अतिशयेन पिबति कृपादृष्ट्या अवलोकयतीति सोमपातमः। ईदृगिन्द्रः। वावृधानः=सर्वाणि वस्तूनि वर्धयन् सन्। द्यवि=द्युलोके सर्वोपरि। उप=सर्वेषां समीपे। अरोरवीत्=स्वकीयं भावं प्रकाशयति। रु शब्दे ॥४०॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (उपद्यवि) अन्तरिक्षादप्युपरि (वावृधानः) वृद्धिं प्राप्तः (वृषा) कामानां वर्षुकः (वज्री) वज्रशक्तिकः (वृत्रहा) अज्ञाननिवारकः (सोमपातमः) अत्यन्तं सौम्यस्वभावानुवर्ती परमात्मा (अरोरवीत्) अत्यन्तं शब्दायते ॥४०॥