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मंहि॑ष्ठा वाज॒सात॑मे॒षय॑न्ता शु॒भस्पती॑ । गन्ता॑रा दा॒शुषो॑ गृ॒हम् ॥

English Transliteration

maṁhiṣṭhā vājasātameṣayantā śubhas patī | gantārā dāśuṣo gṛham ||

Pad Path

मंहि॑ष्ठा । वा॒ज॒ऽसात॑मा । इ॒षय॑न्ता । शु॒भः । पती॒ इति॑ । गन्ता॑रा । दा॒शुषः॑ । गृ॒हम् ॥ ८.५.५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:1» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:5


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SHIV SHANKAR SHARMA

राजा और मन्त्रिवर्ग कैसे हों, यह उपदेश इससे देते हैं।

Word-Meaning: - राजा और सचिवादिवर्ग कैसे हों (मंहिष्ठा) पूज्य या अतिशय दानी हों (वाजसातमा) विज्ञान, बल, अन्न आदिकों के अतिशय विभागकर्ता हों। (शुभस्पती) प्रजाओं के शुभ चाहनेवाले हों या जलादिकों के प्रबन्धकर्त्ता हों, पुनः (इषयन्ता) अच्छे-२ कामों को चाहनेवाले हों, पुनः (दाशुषः) दानी के (गृहम्) गृह में (गन्तारा) जानेवाले हों ॥५॥
Connotation: - सर्व कार्य में राजा और अधिकारी वर्गों को परमोदार और परमोपयोगी होना चाहिये, यह आशय है ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मंहिष्ठा) पूजनीयतम (वाजसातमा) अत्यन्त बल तथा अन्न के देनेवाले (इषयन्ता) अपने में प्रीति उत्पन्न करनेवाले (शुभस्पती) शोभन ऐश्वर्य्य के स्वामी (दाशुषः) यज्ञकर्ता के (गृहम्) गृह को (गन्तारा) जानेवाले उन दोनों की हम स्तुति करते हैं ॥५॥
Connotation: - हे कर्मयोगी तथा ज्ञानयोगिन् ! आप विद्यादि गुणों के कारण सबके पूजनीय=सत्कारार्ह हो। आप अन्न के दाता, सर्वमित्र, सम्पूर्ण ऐश्वर्य्यों के स्वामी और याज्ञिक पुरुषों में प्रीति उत्पन्न करनेवाले हैं, इसलिये हम लोग आपकी स्तुति करते हैं। कृपा करके हमें भी उक्तगुणसम्पन्न करें ॥५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

कीदृशौ राजानौ भवेतामित्युपदिशति।

Word-Meaning: - कीदृशावश्विनौ। मंहिष्ठा=मंहिष्ठौ मंहनीयौ पूजनीयौ। यद्वा। दातृतमौ। पुनः। वाजसातमा=वाजसातमौ=वाजानामन्नानां विज्ञानानां बलानाञ्चातिशयेन दातारौ। पुनः। इषयन्ता=इषयन्तौ=श्रेयांसि प्रापयन्तौ। पुनः। शुभस्पती=शुभः शोभनस्य उदकस्य कल्याणस्य वा पालयितारौ। पुनः। दाशुषः=दत्तवतो दातुर्गृहम्। गन्तारा=गन्तारौ ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मंहिष्ठा) पूजनीयतमौ (वाजसातमा) अन्नानां बलानां चात्यन्तं दातारौ (इषयन्ता) आत्मनि प्रीतिमुत्पादयन्तौ (शुभस्पती) शोभनैश्वर्यवन्तौ (दाशुषः) यज्ञकर्तुः (गृहं, गन्तारा) गृहं गमनशीलौ स्तुम इति शेषः ॥५॥