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पु॒रु॒प्रि॒या ण॑ ऊ॒तये॑ पुरुम॒न्द्रा पु॑रू॒वसू॑ । स्तु॒षे कण्वा॑सो अ॒श्विना॑ ॥

English Transliteration

purupriyā ṇa ūtaye purumandrā purūvasū | stuṣe kaṇvāso aśvinā ||

Pad Path

पु॒रु॒ऽप्रि॒या । नः॒ । ऊ॒तये॑ । पु॒रु॒ऽम॒न्द्रा । पु॒रु॒वसू॑ इति॑ पु॒रु॒ऽवसू॑ । स्तु॒षे । कण्वा॑सः । अ॒श्विना॑ ॥ ८.५.४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:4 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:1» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:4


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SHIV SHANKAR SHARMA

राजा और अमात्य आदिकों को कैसा होना चाहिये, यह उपदेश देते हैं।

Word-Meaning: - हे राजन् तथा हे अमात्यवर्ग ! जिस कारण आप दोनों (पुरुप्रिया) बहुतों के प्रिय हैं (पुरुमन्द्रा) बहुतों को आनन्द देनेवाले हैं और (पुरुवसू) बहुधनी हैं। इस हेतु (नः+ऊतये) हमारी रक्षा के लिये ऐसे (अश्विना) आप दोनों महाशयों की (कण्वासः) विद्वद्वृन्द (स्तुषे) स्तुति करते हैं ॥४॥
Connotation: - मन्त्री आदि सहकारियों के साथ राजा वैसा व्यवहार रक्खे, जिससे वे सब प्रजाओं के प्रिय होवें, उनके धन बढ़ें और सब मिलकर परस्पर रक्षा करें ॥४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पुरुप्रिया) बहुतों के प्रिय (पुरुमन्द्रा) बहुतों के आनन्दयिता (पुरुवसू) अमितधनवाले (अश्विना) व्यापक उन दोनों की (नः, ऊतये) अपनी रक्षा के लिये (कण्वासः) हम विद्वान् (स्तुषे) स्तुति करते हैं ॥४॥
Connotation: - ऐश्वर्य्यसम्पन्न कर्मयोगी तथा विद्याविशारद ज्ञानयोगी की सब विद्वान् स्तुति करते हैं कि हे भगवन् ! आप सर्वप्रिय, सबको आनन्द देनेवाले तथा संसार में सुख का विस्तार करनेवाले हैं। कृपा करके हम लोगों की सब ओर से रक्षा करें, ताकि हम लोग विद्यावृद्धि तथा धर्म का आचरण करते हुए अपनी इष्टसिद्धि को प्राप्त हों ॥४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

राज्ञाऽमात्यादिभिश्च कीदृशैर्भाव्यमित्युपदिशति।

Word-Meaning: - यतो युवां पुरुप्रिया=पुरुप्रियौ बहूनां दुष्टेतराणां स्पृहणीयौ स्थः। पुरुमन्द्रा=पुरुमन्द्रौ बहूनां मादयितारौ। पुनः। पुरुवसू=बहुधनौ स्थः। अत ईदृशौ। अश्विना=राजानौ। युवाम्। कण्वासः=विद्वांसः। नोऽस्माकमूतये=रक्षायै। स्तुषे=स्तुवन्ति पुरुषवचनव्यत्ययः ॥४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पुरुप्रिया) बहुप्रियौ (पुरुमन्द्रा) बहूनां मादयितारौ (पुरुवसू) बहुधनौ (अश्विना) व्यापकौ (नः, ऊतये) स्वरक्षणाय (कण्वासः, स्तुषे) विद्वांसो वयं स्तुमः ॥४॥