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अ॒स्य पि॑बतमश्विना यु॒वं मद॑स्य॒ चारु॑णः । मध्वो॑ रा॒तस्य॑ धिष्ण्या ॥

English Transliteration

asya pibatam aśvinā yuvam madasya cāruṇaḥ | madhvo rātasya dhiṣṇyā ||

Pad Path

अ॒स्य । पि॒ब॒त॒म् । अ॒श्वि॒ना॒ । यु॒वम् । मद॑स्य । चा॒रु॑णः । मध्वः॑ । रा॒तस्य॑ । धि॒ष्ण्या॒ ॥ ८.५.१४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:14 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:3» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:14


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SHIV SHANKAR SHARMA

राजा का भाग दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (अश्विना) हे अश्विद्वय (धिष्ण्या) हे बुद्धिमान् हे बुद्धिगम्य राजन् तथा सभाध्यक्ष ! (युवम्) आप दोनों (मदस्य) हर्षप्रद (चारुणः) सुशोभन और (रातस्य) समर्पित (अस्य) इस (मध्वः) मधुमय पदार्थ के भाग को (पिबतम्) ग्रहण कीजिये ॥१४॥
Connotation: - राजा अथवा राजकर्मचारीगण तब ही अच्छे पदार्थों का भोग कर सकते हैं, यदि वे परिश्रमपूर्वक कार्य्य करते हों। मधु शब्द से मधुर पदार्थ का ग्रहण है। प्रत्येक वस्तु उस समय मधुर प्रतीत होता है, जब क्षुधा प्रज्वलित हो और पाकस्थली वारंवार खाने से बिगड़ न गई हो। धनसम्पन्न पुरुष की पाचनशक्ति अधिक भोजन से बिगड़ जाती है ॥१४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (धिष्ण्या) स्तुतियोग्य (अश्विना) व्यापक (युवम्) आप (रातस्य) मेरे दिये हुए (चारुणः) पवित्र (मध्वः) मधु (मदस्य) हर्षकारक (अस्य) इस सोमरस का (पिबतं) पान करें ॥१४॥
Connotation: - हे सबको वशीभूत करनेवाले ज्ञानयोगिन् तथा कर्मयोगिन् ! आप मेरे अर्पण किये हुए इस पवित्र, मीठे तथा हर्षोत्पादक सोमरस का पान कर तृप्त हों और हम पर प्रसन्न होकर हमारी कामनाओं को पूर्ण करें ॥१४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

राज्ञो भागं दर्शयति।

Word-Meaning: - हे अश्विना=हे अश्विनौ। हे धिष्ण्या=हे धिष्ण्यौ धिषणा बुद्धिस्तया गम्यौ, हे बुद्धिगम्यौ हे बुद्धिमन्तौ। युवम्=युवाम्। मदस्य=हर्षप्रदस्य। चारुणः=सुशोभनस्य। रातस्य=समर्पितस्य। अस्य=पुरतः स्थापितस्य। मध्वः=मधुनो भागं यथोचितं पिबतम्=गृह्णीतम् ॥१४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (धिष्ण्या) स्तुत्यौ (अश्विना) व्यापकौ (युवम्) युवाम् (रातस्य) मद्दत्तम् (चारुणः) शोभनम् (मध्वः) मधुरम् (मदस्य) हर्षकारकं (अस्य) इमं रसम् (पिबतम्) उपभुञ्जाथाम् ॥१४॥