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यच्चि॒द्धि ते॒ अपि॒ व्यथि॑र्जग॒न्वांसो॒ अम॑न्महि । गो॒दा इदि॑न्द्र बोधि नः ॥

English Transliteration

yac cid dhi te api vyathir jaganvāṁso amanmahi | godā id indra bodhi naḥ ||

Pad Path

यत् । चि॒त् । हि । ते॒ । अपि॑ । व्यथिः॑ । ज॒ग॒न्वांसः॑ । अम॑न्महि । गो॒ऽदाः । इत् । इ॒न्द्र॒ । बो॒धि॒ । नः॒ ॥ ८.४५.१९

Rigveda » Mandal:8» Sukta:45» Mantra:19 | Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:45» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:19


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे ईश ! (इमे) ये मेरे (सखायः) जनसमुदायमित्र (सोमिनः) शुभकर्मी होकर (त्वा+उ) तेरी ओर देखते, तेरी ही प्रतीक्षा करते हैं। (यथा) जैसे (पुष्टावन्तः) घासों से पुष्ट स्वामी (पशुम्) अपने पशुओं की राह देखता है ॥१६॥
Connotation: - हे मनुष्यों ! प्रथम तुम शुभकर्मी बनो, तब ईश्वर की प्रतीक्षा करो, अन्यथा तुम्हारा साथी वह कदापि न होगा। तुम सबके सखा बनो। किसी की हानि की चिन्ता मत करो। देखो, संसार में कितने दिन तुम्हें रहना है ॥१६॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे इन्द्र ईश ! इमे। मम सखायः=सुहृदः। सोमिनः=शुभकर्मवन्तो भूत्वा। त्वा+उ=त्वामेव। विचक्षते। प्रतीक्षन्ते=त्वामेव पश्यन्ति। अत्र दृष्टान्तः। यथा पुष्टावन्तः=घासैर्युक्ताः स्वामिनः। पशुमपेक्षन्ते ॥१६॥