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पु॒राग्ने॑ दुरि॒तेभ्य॑: पु॒रा मृ॒ध्रेभ्य॑: कवे । प्र ण॒ आयु॑र्वसो तिर ॥

English Transliteration

purāgne duritebhyaḥ purā mṛdhrebhyaḥ kave | pra ṇa āyur vaso tira ||

Pad Path

पु॒रा । अ॒ग्ने॒ । दुः॒ऽइ॒तेभ्यः॑ । पु॒रा । मृ॒ध्रेभ्यः॑ । क॒वे॒ । प्र । नः॒ । आयुः॑ । व॒सो॒ इति॑ । ति॒र॒ ॥ ८.४४.३०

Rigveda » Mandal:8» Sukta:44» Mantra:30 | Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:41» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:30


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (वयम्) हम उपासकगण (अग्नये) सर्वाधार सर्वगत ईश्वर को (स्तोमैः) स्तोत्रों से स्तोत्ररूप उपहारों के द्वारा (इषेम) प्राप्त करने की इच्छा करें, जो ईश (यज्ञानाम्+रथ्ये) हमारे सकल शुभ कर्मों के नायक चालक हैं, (तिग्मजम्भाय) जिसके तेज और प्रताप अत्यन्त तीव्र हैं, जो (वीळवे) सर्वशक्तिसम्पन्न हैं ॥२७॥
Connotation: - जिसकी कृपा से लोगों की शुभ कर्मों में प्रवृत्ति होती है और यज्ञादिकों की समाप्ति होती है, जिसके सूर्य्यादिक तेज और प्रताप प्रत्यक्ष हैं, उसको हम उपासक शुद्धाचारों और प्रार्थनाओं के द्वारा प्राप्त होवें ॥२७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - वयमुपासकाः। यज्ञानां=शुभकर्मणाम्। रथ्ये=नेत्रे= नायकाय। तिग्मजम्भाय=तीव्रतेजस्काय। वीळवे= महाशक्तये। अग्नये=महेश्वराय। स्तोमैः=स्तोत्रैः। इषेम=इच्छेम प्राप्तुम् ॥२७॥