Word-Meaning: - (वरुण+देव) हे निखिल पापनिवारक महादेव ! (शिक्षमाणस्य) अपना जानते पूर्ण परिश्रम और धार्मिक कार्य्य में मनोयोग देते हुए मेरी (इमाम्) इस (धियम्) सुक्रिया को तथा (क्रतुम्+दक्षम्) यज्ञ और आन्तरिक बल को (सं शिशाधि) अच्छे प्रकार तीक्ष्ण कीजिये, (यया) जिस सुक्रिया क्रतु और बल से (विश्वा+दुरिता) निखिल पापों, व्यसनों और दुःखों को (अति+तरेम) तैर जाएँ और (सुतर्माणम्+नावम्) अच्छे प्रकार पार लगानेवाली सुक्रियारूप नौका पर (अधिरुहेम) चढ़ें ॥३॥
Connotation: - हे देव ! बुद्धि, बल और क्रियाशक्ति, ये तीनों हमको दे, जिससे पापादि दुःखों को तैर कर विज्ञानरूपी नौका पर चढ़ तेरे निकट पहुँच सकें ॥३॥