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सदो॒ द्वा च॑क्राते उप॒मा दि॒वि स॒म्राजा॑ स॒र्पिरा॑सुती ॥

English Transliteration

sado dvā cakrāte upamā divi samrājā sarpirāsutī ||

Pad Path

सदः॑ । द्वा । च॒क्रा॒ते॒ इति॑ । उ॒प॒ऽमा । दि॒वि । स॒म्ऽराजा॑ । स॒र्पिर्ऽआ॑सुती॒ इति॑ स॒र्पिःऽआ॑सुती ॥ ८.२९.९

Rigveda » Mandal:8» Sukta:29» Mantra:9 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:36» Mantra:9 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:9


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SHIV SHANKAR SHARMA

मुख और रसना का वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - इस ऋचा से मुख और मुखस्थ रसना का वर्णन है। (उपमा) उपम=उपमास्वरूप, क्योंकि मुख की उपमा अधिक दी जाती है। अथवा जिनसे सब जाना जाए, वे उपमा, मुख से ही सब परिचित होता है। पुनः (सम्राजा) सम्यक् प्रकाशमान पुनः (सर्पिरासुती) घृत आदि खाद्य पदार्थों के आस्वादक जो (द्वा) दो मुख और रसना हैं, वे (दिवि) प्रकाशमान स्थान में (सदः) स्वनिवासस्थान (चक्राते) बनाते हैं ॥९॥
Connotation: - अपने-२ प्रत्येक इन्द्रिय के गुण, आकार और स्थिति जानें ॥९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

मुखरसने वर्णयति।

Word-Meaning: - उपमा=उपमौ=उपमानभूतौ। प्रायो बहुधा मुखेनोपमा दीयते। यद्वा। उपमीयते=ज्ञायते सर्वमाभ्यामिति उपमौ। मुखेन सर्वः परिचीयते। सम्राजा=सम्राजौ=सम्यग् विराजमानौ। पुनः। सर्पिरासुती। सर्पिर्घृतमुपलक्षणम्। सर्पींषि=घृतादीनि खाद्यानि। आसूयेते=स्वादयतो यौ तौ सर्पिरासुती। द्वा=द्वौ=मुखजिह्वानामकौ देवौ। दिवि=द्योतने स्थाने। सदः=गृहम्=निवासस्थानम्। चक्राते=कुरुतः। ईदृशौ देवौ विद्यया ज्ञातव्यौ ॥९॥