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आ नि॑रे॒कमु॒त प्रि॒यमिन्द्र॒ दर्षि॒ जना॑नाम् । धृ॒ष॒ता धृ॑ष्णो॒ स्तव॑मान॒ आ भ॑र ॥

English Transliteration

ā nirekam uta priyam indra darṣi janānām | dhṛṣatā dhṛṣṇo stavamāna ā bhara ||

Pad Path

आ । नि॒रे॒कम् । उ॒त । प्रि॒यम् । इन्द्र॑ । दर्षि॑ । जना॑नाम् । धृ॒ष॒ता । धृ॒ष्णो॒ इति॑ । स्तव॑मानः । आ । भ॒र॒ ॥ ८.२४.४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:24» Mantra:4 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:15» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:4


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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्र प्रिय धन का दाता है, यह दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र ! तू (उत) और (जनानाम्) मनुष्यों और सर्व प्राणियों के मध्य (प्रियम्+निरेकम्) प्रिय और प्रसिद्ध धन को भी (आदर्षि) प्रकाशित करता है। (धृष्णो) हे विघ्नप्रधर्षक ! (स्तवानः) स्तूयमान होकर (धृषता) परमोदार मन से (आभर) हम लोगों का भरण-पोषण कर ॥४॥
Connotation: - इस जगत् में सर्व वस्तु ही प्रिय हैं, तथापि कतिपय वस्तुओं को कतिपय प्राणी पसन्द नहीं करते। विष, सर्प, वृश्चिक, विद्युदादि पदार्थ भी किसी विशेष उपयोग के लिये हैं। इस जगत् को नानाद्रव्यों से ईश्वर प्रतिक्षण भूषित कर रहा है, अतः वही स्तवनीय है ॥४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्रः प्रियधनदाताऽस्तीति दर्शयति।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! उत=अपि च। जनानां मध्ये। प्रियम्। निरेकम्=प्रसिद्धमपि धनम्। त्वम्। आदर्षि=आविदारसि= प्रकाशयसि। हे धृष्णो=हे विघ्नप्रधर्षक ! धृषता=परमोदारेण मनसा। स्तवानः=स्तूयमानः सन्। आभर=अस्मभ्यं धनं देहि ॥४॥