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रथो॒ यो वां॑ त्रिवन्धु॒रो हिर॑ण्याभीशुरश्विना । परि॒ द्यावा॑पृथि॒वी भूष॑ति श्रु॒तस्तेन॑ नास॒त्या ग॑तम् ॥

English Transliteration

ratho yo vāṁ trivandhuro hiraṇyābhīśur aśvinā | pari dyāvāpṛthivī bhūṣati śrutas tena nāsatyā gatam ||

Pad Path

रथः॑ । यः । वा॒म् । त्रि॒ऽव॒न्धु॒रः । हिर॑ण्यऽअभीशुः । अ॒श्वि॒ना॒ । परि॑ । द्यावा॑पृथि॒वी इति॑ । भूष॑ति । श्रु॒तः । तेन॑ । ना॒स॒त्या॒ । आ । ग॒त॒म् ॥ ८.२२.५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:22» Mantra:5 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:5» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:5


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SHIV SHANKAR SHARMA

राजा माननीय है, यह इससे दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (अश्विना) हे अश्वयुक्त ! (नासत्या) सत्यस्वभाव असत्यरहित राजन् तथा अमात्यदल ! (वाम्) आपका (यः+रथः) जो रमणीय रथ या विमान (त्रिबन्धुरः) ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य का बन्धु है (हिरण्याभीशुः) जिसके घोड़ों का लगाम स्वर्णमय है, जो (द्यावापृथिवी) द्युलोक और पृथिवीलोक के मध्य में (परि+भूषति) शोभित होता है और जो (श्रुतः) सर्वत्र विख्यात है, (तेन) उस रथ से हम लोगों के निकट (आगतम्) आवें ॥५॥
Connotation: - समय-२ पर राजा अपने मन्त्रिदलसहित प्रजाओं के गृह पर जा सत्कार ग्रहण करें ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अश्विना) हे शीघ्रगतिवाले (नासत्या) असत्य को कभी स्वीकार न करनेवाले ! (यः, त्रिबन्धुरः) जो तीन स्थानों में बन्धनयुक्त वा ऊँचा-नीचा तथा (हिरण्याभीशुः) सुवर्ण की मेखलाओं से सुदृढ़ है, ऐसा (वाम्, रथः) आपका रथ (द्यावापृथिवी) द्युलोक तथा पृथिवीलोक को (परिभूषति) परिभूत=तिरस्कारयुक्त करता है, अतएव (श्रुतः) सर्वत्र प्रसिद्ध है (तेन) उसके द्वारा आप (आगतम्) आवें ॥५॥
Connotation: - हे सत्यवादी न्यायाधीश तथा सेनाधीश ! आपका शिल्पी विद्वानों से रचित यान, जो ऊपर, नीचे तथा बीच में सुदृढ़ बंधा हुआ है अर्थात् जिसको कलायन्त्रों से भले प्रकार दृढ़ बनाया है, जो वाष्प द्वारा पृथिवी तथा अन्तरिक्ष में विचरता और जिससे आप शत्रुओं को पराजित करते हैं, उसमें आरूढ़ हुए हमारे यज्ञसदन को प्राप्त हों ॥५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

राजा सत्कारार्ह इति दर्शयति।

Word-Meaning: - हे अश्विना=अश्विनौ। हे नासत्या=नासत्यौ=सत्यस्वभावौ असत्यरहितौ राजानौ। वाम्=युवयोः। यो रथः। त्रिबन्धुरः=त्रयाणां ब्रह्मक्षत्रविशां बन्धुरस्ति। हिरण्याभीशुः। सुवर्णप्रग्रहोऽस्ति। द्यावापृथिवी= द्यावापृथिव्योर्मध्ये। परिभूषति=परितः शोभते। यश्च श्रुतो विख्यातोऽस्ति। तेन रथेन नोऽस्मानागतमागच्छतम् ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अश्विना) हे व्यापकगमनौ (नासत्या) सत्यवाचौ ! (यः, त्रिबन्धुरः) त्रिषु स्थानेषु बन्धनयुक्त उन्नतावनतो वा यः (हिरण्याभीषुः) सुवर्णशृङ्खलावेष्टितः (वाम्, रथः) युवयोर्यानम् (द्यावापृथिवी) पृथिवीं दिवञ्च (परिभूषति) परिभवति अतः (श्रुतः) प्रसिद्धः (तेन, आगतम्) तेन रथेनागच्छतम् ॥५॥