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इ॒ह त्या पु॑रु॒भूत॑मा दे॒वा नमो॑भिर॒श्विना॑ । अ॒र्वा॒ची॒ना स्वव॑से करामहे॒ गन्ता॑रा दा॒शुषो॑ गृ॒हम् ॥

English Transliteration

iha tyā purubhūtamā devā namobhir aśvinā | arvācīnā sv avase karāmahe gantārā dāśuṣo gṛham ||

Pad Path

इ॒ह । त्या । पु॒रु॒ऽभूत॑मा । दे॒वा । नमः॑ऽभिः । अ॒श्विना॑ । अ॒र्वा॒ची॒ना । सु । अव॑से । क॒रा॒म॒हे॒ । गन्ता॑रा । दा॒शुषः॑ । गृ॒हम् ॥ ८.२२.३

Rigveda » Mandal:8» Sukta:22» Mantra:3 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:5» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:3


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SHIV SHANKAR SHARMA

हे मनुष्यों ! आपके लिये कैसे राजा और मन्त्रिदल भेजता हूँ, उसे जानो।

Word-Meaning: - हे मनुष्यों ! जो राजा और मन्त्रिदल दोनों (इह) इस पृथिवी पर (पुरुभूतमा) बहुत सज्जनों के अतिशय सम्मान देनेवाले हों, (देवा) दिव्यगुणसम्पन्न हों (नमोभिः) सम्मानों से युक्त हों, (अश्विना) घोड़ों से युक्त हों या गुणों के द्वारा प्रजाओं के हृदयों में व्याप्त हों, (अर्वाचीना) युद्ध में सदा अभिमुख जानेवाले हों तथा (दाशुषः) भक्तजनों के (गृहम्) गृह पर (गन्तारा) गमनशील हों, ऐसे राजा और मन्त्रिदल को (अवसे) संसार की रक्षा के लिये (करामहे) बनाते हैं ॥३॥
Connotation: - प्रजाएँ मिलकर उनको स्वराजा बनावें, जो विद्वान्, साहसी, सत्यपरायण और जितेन्द्रियत्व आदि गुणों से भूषित हों, जिनमें स्वार्थ का लेश भी न हो, किन्तु मनुष्य के हित के लिये जिनकी सर्व प्रवृत्ति हो ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (त्या) उन (पुरुभूतमा) शत्रुओं का अत्यन्त पराभव करनेवाले (देवा) दिव्यस्वरूप (दाशुषः, गृहम्, गन्तारा) याज्ञिक के गृह में जाने के स्वभाववाले (अश्विना) सेनाधीश वा न्यायाधीश को (स्ववसे) सुखद रक्षा के लिये (इह) इस यज्ञस्थान में (नमोभिः) स्तुतिवाणियों अथवा उनके उपभोगार्ह देयभाग द्वारा (अर्वाचीना) अभिमुख (करामहे) करते हैं ॥३॥
Connotation: - याज्ञिक पुरुषों के घर जाकर उनकी सहायता करनेवाले, दिव्यस्वरूप सेनाधीश तथा न्यायाधीश ! आप अपना याज्ञिकभाग ग्रहण कर उपभोग करें और हमारी स्तुतियों को स्वीकार कर यज्ञ की रक्षा के लिये सदैव सन्नद्ध रहें ॥३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

हे मनुष्याः ! युष्मदर्थं कीदृशौ राजमन्त्रिणौ प्रेषयामीति जानीत।

Word-Meaning: - हे मनुष्याः ! यौ राजमन्त्रिदलौ। इह=पृथिव्यामुपरि। पुरुभूतमा=पुरुभूतमौ=पुरूणां बहूनां सतामतिशयेन भावयितारौ=सम्मानयितारौ। भवेताम्। देवा=देवौ= दिव्यगुणसम्पन्नौ। नमोभिः=सत्कारैर्युक्तौ। अश्विनौ= अश्वयुक्तौ=गुणैः प्रजानां हृदयेषु व्याप्तौ। अवसे=रक्षणाय। सदा। अर्वाचीना=अर्वाचीनौ= अभिमुखयातारौ। पुनः। दाशुषः=भक्तजनस्य। गृहम्। गन्तारा=गन्तारौ। ईदृशौ। यौ स्तः। त्या=तौ राजानौ। वयम्। करामहे=कुर्मः ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (त्या) तौ (पुरुभूतमा) बहूनां भावयितारौ (देवा) दिव्यस्वरूपौ (दाशुषः, गृहम्, गन्तारा) याज्ञिकस्थाने गमनशीलौ (अश्विना) सेनाधीशन्यायाधीशौ (स्ववसे) शोभनरक्षायै (इह) यज्ञस्थाने (नमोभिः) स्तुतिभिः (अर्वाचीना) अभिमुखौ (करामहे) कुर्महे वयं याज्ञिकाः ॥३॥