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नूत्ना॒ इदि॑न्द्र ते व॒यमू॒ती अ॑भूम न॒हि नू ते॑ अद्रिवः । वि॒द्मा पु॒रा परी॑णसः ॥

English Transliteration

nūtnā id indra te vayam ūtī abhūma nahi nū te adrivaḥ | vidmā purā parīṇasaḥ ||

Pad Path

नूत्नाः॑ । इत् । इ॒न्द्र॒ । ते॒ । व॒यम् । ऊ॒ती । अ॒भू॒म॒ । न॒हि । नु । ते॒ । अ॒द्रि॒ऽवः॒ । वि॒द्म । पु॒रा । परी॑णसः ॥ ८.२१.७

Rigveda » Mandal:8» Sukta:21» Mantra:7 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:2» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:7


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SHIV SHANKAR SHARMA

उसका ज्ञान करना चाहिये, यह दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र ! (अद्रिवः) हे संसाररक्षक यद्वा हे संसारिन् ! हम उपासकगण (ते) तेरी (ऊती) रक्षा में (नूत्नाः+इत्) नूतन ही हैं (नहि) यह नहीं किन्तु पुराण और प्राचीन हैं अर्थात् आपकी रक्षा बहुत दिनों से होती आती है, आगे इसी को विस्पष्ट करते हैं−(पुरा) पूर्वकाल से ही (परीणसः+ते) तुझको परमोदार (विद्मः) जानते हैं (नू) यह निश्चय है ॥७॥
Connotation: - परमात्मा की रक्षा सर्वदा से होती आई है, उसकी उदारता असीम है, अतः वही पूज्य है ॥७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे रक्षक सेनापते ! (ते, ऊती) आपकी रक्षाओं से (वयम्) हम सब (नूत्ना, इत्) बाधारहित होने से नूतन के समान (अभूम) हो जाते हैं (अद्रिवः) हे विदारक शस्त्रोंवाले (ते) आपको (पुरा) रक्षा करने से पहिले (परीणसः) व्यापक बलवाला (नहि) नहीं (नु) ही (विद्म) जानते हैं ॥७॥
Connotation: - जो सेनापति शत्रुओं को हटाकर प्रजाओं की बाधा दूर करके अपनी प्रभावशक्ति को फैलाते हैं, उन्हीं को प्रजा नम्र होकर अपना स्वामी समझ सम्मानित करती है अर्थात् जो राष्ट्रपति तथा सेनापति प्रजा को सुख पहुँचाते और विद्यावृद्धि तथा धर्मवृद्धि में सहायक होते हैं, वे सत्कारार्ह तथा पूज्य होते हैं, अन्य नहीं ॥७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

तदीयज्ञानं कर्त्तव्यमिति दर्शयति।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! हे अद्रिवः=हे संसाररक्षक ! यद्वा। हे संसारिन्। वयम्। ते=तव। ऊती=ऊत्या=रक्षणेन। नूत्नाः=नवीनाः। इत्=एव। नहि=न स्मः। किन्तु पुराणा एव। तदेव विस्पष्टयति। पुरा=पूर्वकालादेव। परीणसः=परमोदारस्य। ते=तव। विद्मः=जानीमः। नु इति निश्चयः ॥७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे सेनापते ! (ते, ऊती) त्वद्रक्षाभिः (वयम्) वयमुपासकाः (नूत्ना, इत्) बाधारहितत्वात् नूतना एव (अभूम) भवामः (अद्रिवः) हे विदारणशक्तिमन् ! (ते) त्वाम् (पुरा) रक्षातः पूर्वम् (परीणसः) व्यापकबलम् (नहि, नु, विद्म) नहि हि जानीमः ॥७॥