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त्वया॑ ह स्विद्यु॒जा व॒यं प्रति॑ श्व॒सन्तं॑ वृषभ ब्रुवीमहि । सं॒स्थे जन॑स्य॒ गोम॑तः ॥

English Transliteration

tvayā ha svid yujā vayam prati śvasantaṁ vṛṣabha bruvīmahi | saṁsthe janasya gomataḥ ||

Pad Path

त्वया॑ । ह॒ । स्वि॒त् । यु॒जा । व॒यम् । प्रति॑ । श्व॒सन्त॑म् । वृ॒ष॒भ॒ । ब्रु॒वी॒म॒हि॒ । सं॒स्थे । जन॑स्य । गोऽम॑तः ॥ ८.२१.११

Rigveda » Mandal:8» Sukta:21» Mantra:11 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:3» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:11


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SHIV SHANKAR SHARMA

उसका उपासक विजयी होता है, वह दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (वृषभ) हे निखिलमनोरथपूरक ! (गोमतः) पृथिवीश्वर मनुष्य के (संस्थे) संग्राम में (श्वसन्तम्) अतिशय क्रोध से हाँपते हुए शत्रुओं को (युजा) सहायक (त्वया+ह+स्वित्) तेरी ही सहायता से (प्रति+ब्रुवीमहि) प्रत्युत्तर देते हैं, अर्थात् तेरे ही साहाय्य से उनको जीतते हैं ॥११॥
Connotation: - जो जन उसी को अपना आश्रय बनाते हैं, वे महान् शत्रुओं को भी जीत लेते हैं ॥११॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वृषभ) हे शस्त्रों की वर्षा करनेवाले ! (वयम्) हम सब प्रजाजन (गोमतः, जनस्य, संस्थे) तेजस्वी समुदाय के युद्ध में (त्वया, युजा, ह, स्वित्) आपकी सहायता ही से (श्वसन्तम्) क्रोध से उच्च श्वास लेते हुए शत्रु का (प्रतिब्रुवीमहि) प्रतिवचन=तिरस्कार करते हैं ॥११॥
Connotation: - भाव यह है कि सैनिक लोग सेनापति की रक्षा द्वारा ही अनेक गर्वित शत्रुओं को तिरस्कृत कर सकते हैं, स्वतन्त्र नहीं, इसलिये सेनापति का होना अत्यावश्यक है, ताकि हम लोग शत्रुओं से सुरक्षित होकर अपने सब कार्य्यों को विधिवत् कर सकें ॥११॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

तदुपासको विजयी भवतीति दर्शयति।

Word-Meaning: - हे वृषभ ! गोमतः=पृथिवीश्वरस्य जनस्य। संस्थे=संग्रामे। श्वसन्तम्=क्रोधातिशयेन श्वासकारिणं शत्रुं प्रति। युजा=सहायेन। त्वया ह स्वित्। प्रति+ब्रुवीमहि=प्रतिवचनं कुर्मः। निराकरिष्याम इत्यर्थः ॥११॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वृषभ) हे शस्त्राणां वर्षितः ! (वयम्) वयं प्रजाः (गोमतः, जनस्य, संस्थे) तेजस्विनः समुदायस्य स्थाने युद्धादौ (त्वया, युजा, ह, स्वित्) त्वया हि सहायेन सन्तः (श्वसन्तम्) क्रुद्धमरिम् (प्रतिब्रुवीमहि) तिरस्कुर्मः ॥११॥