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गोभि॑र्वा॒णो अ॑ज्यते॒ सोभ॑रीणां॒ रथे॒ कोशे॑ हिर॒ण्यये॑ । गोब॑न्धवः सुजा॒तास॑ इ॒षे भु॒जे म॒हान्तो॑ न॒: स्पर॑से॒ नु ॥

English Transliteration

gobhir vāṇo ajyate sobharīṇāṁ rathe kośe hiraṇyaye | gobandhavaḥ sujātāsa iṣe bhuje mahānto naḥ sparase nu ||

Pad Path

गोभिः॑ । वा॒णः । अ॒ज्य॒ते॒ । सोभ॑रीणाम् । रथे॑ । कोशे॑ । हि॒र॒ण्यये॑ । गोऽब॑न्धवः । सु॒ऽजा॒तासः॑ । इ॒षे । भु॒जे । म॒हान्तः॑ । नः॒ । स्पर॑से । नु ॥ ८.२०.८

Rigveda » Mandal:8» Sukta:20» Mantra:8 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:37» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:8


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः वे कैसे हों, यह दिखाते हैं।

Word-Meaning: - (सोभरीणाम्) मनुष्य जाति के अच्छे प्रकार भरणपोषण करनेवाले सैनिकजनों के (वाणः) वाण (हिरण्यये) सुवर्णमय (रथे+कोशे) रथस्थ कोश में (गोभिः) शब्द से (अज्यते) मालूम होता है। अर्थात् वीरपुरुष जब वाण फेंकते हैं और धनुष् का शब्द होता है, तब मालूम होता है कि रथ पर बहुत वाण हैं। (गोबन्धवः) पृथिवी के बन्धु (सुजातासः) शोभनजन्मा कुलीन और (महान्तः) महान् ये मरुद्गण (नः) हमारे (इषे) अन्न के लिये (भुजे) भोग के लिये और (स्परसे) प्रीति के लिये (नु) शीघ्र होवें ॥८॥
Connotation: - वीरपुरुष सदा जगत् के उपकार किया करें। प्रजाओं के क्लेशों को दूर करने के लिये सदा यत्न करें ॥८॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोभरीणाम्) सम्यग् भरण-पोषण करनेवाले उन योद्धाओं का (हिरण्यये) सुवर्णमय (कोशे) कौशेय वस्त्राच्छादित (रथे) रथ में (वाणः) शस्त्र (गोभिः) क्षेपण शब्दों से (अज्यते) प्रकाशित होता है (गोबन्धवः) विद्याओं के बन्धु (सुजातासः) सुन्दर सफल जन्मवाले (महान्तः) पूजनीय वह वीर (नः) हमारे (इषे) अन्न के लिये (भुजे) भोग के अर्थ (स्परसे) बल के अर्थ (नु) शीघ्र ही उपस्थित हों ॥८॥
Connotation: - हे सब प्रजाओं का भरणपोषण करनेवाले तथा विद्याप्रिय योद्धाओ ! आप लोग शीघ्र ही हमारे विद्याप्रधान यज्ञों में सुशोभित होकर प्रजाजनों को अपनी रक्षा द्वारा सुख पहुँचावें अर्थात् हमको अपने उपदेशों से बलवान् बनावें और हमारे लिये पुष्कल अन्न-प्राप्ति के अर्थ यत्नवान् हों ॥८॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः कीदृशा इति दर्शयति।

Word-Meaning: - सोभरीणाम्=सुभर्तॄणां सैन्यजनानाम्। वाणः। हिरण्यये=सौवर्णे। रथे कोशे। गोभिः=शब्दैः। अज्यते=प्रकटी भवति। गोबन्धवः=पृथिव्या बान्धवाः। सुजातासः=सुजाताः। पुनः। महान्तः। इमे मरुद्गणाः। नः=अस्माकम्। इषे=अन्नाय। भुजे=भोगाय। स्परसे=प्रीत्यै च। नु=क्षिप्रम्। भवत्विति शेषः ॥८॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोभरीणाम्) सुष्ठुभरणशीलानाम् (हिरण्यये) सौवर्णे (कोशे) कौशेयवेष्टिते (रथे) याने (वाणः) यच्छस्त्रम् तत् (गोभिः) क्षेपणशब्दैः (अज्यते) व्यक्तं भवति (गोबन्धवः) विद्याया मित्रभूताः (सुजातासः) सुजन्मानः (महान्तः) पूज्यास्ते (नः) अस्माकम् (इषे) अन्नाय (भुजे) भोगाय (स्परसे) बलाय च (नु) क्षिप्रं भवन्तु ॥८॥