Go To Mantra

यत्सिन्धौ॒ यदसि॑क्न्यां॒ यत्स॑मु॒द्रेषु॑ मरुतः सुबर्हिषः । यत्पर्व॑तेषु भेष॒जम् ॥

English Transliteration

yat sindhau yad asiknyāṁ yat samudreṣu marutaḥ subarhiṣaḥ | yat parvateṣu bheṣajam ||

Pad Path

यत् । सिन्धौ॑ । यत् । असि॑क्न्याम् । यत् । स॒मु॒द्रेषु॑ । म॒रु॒तः॒ । सु॒ऽब॒र्हि॒षः॒ । यत् । पर्व॑तेषु । भे॒ष॒जम् ॥ ८.२०.२५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:20» Mantra:25 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:40» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:25


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः उसी विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - सैनिकजनों के लिये अन्यान्य कर्त्तव्य का उपदेश देते हैं। (सुबर्हिषः) रक्षारूप महायज्ञ करनेवाले (मरुतः) सैनिक जनों ! (सिन्धौ) बहनेवाले जलाशयों में (यद्) जो (भेषजम्) औषध विद्यमान है, (समुद्रेषु) समुद्रों में (यत्) जो औषध विद्यमान है और (पर्वतेषु) पर्वतों पर (यत्) जो औषध है, उसको प्रजाहितार्थ लाया कीजिये ॥२५॥
Connotation: - औषधों का भी संग्रह करना सैनिकजनों का कर्त्तव्य है ॥२५॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सुबर्हिषः, मरुतः) हे सुन्दर आसनवाले योद्धाओ ! (यत्, सिन्धौ) जो नदियों में (यत्, असिक्न्याम्) जो अन्धकारयुक्त अगम्य देश में (यत्, समुद्रेषु) जो समुद्रों में (यत्, पर्वतेषु) जो पहाड़ों में (भेषजम्) औषध हैं। “इस ऋचा का उत्तर ऋचा के साथ सम्बन्ध है” ॥२५॥
Connotation: - हे वीर योद्धाओ ! जो नदियों में, वनों में, पर्वतों की कन्दराओं में तथा अगम्य प्रदेशों में जो-२ औषध तथा गुप्त पदार्थ हैं, उन सबको आप भले प्रकार जानकर उपयोग में लाते हैं ॥२५॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तमर्थमाह।

Word-Meaning: - हे सुबर्हिषः=शोभनयज्ञाः। मरुतः। सिन्धौ=स्यन्दनशीले जलाशये। यद्भेषजं विद्यते। असिक्याम्=नद्याम्। यद् भेषजम्। समुद्रेषु पर्वतेषु च। यद् भेषजम्। तद्+आहरत ॥२५॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मरुतः) हे योद्धारः ! (सुबर्हिषः) शोभनासनाः (यत्, सिन्धौ) यत्स्यन्दनशीले नदे (यत्, असिक्न्याम्) यत् तमसावृते देशे (यत्, समुद्रेषु) यच्च उदधिषु (यत्, पर्वतेषु) यत् पर्वतभूमिषु (भेषजम्) औषधमस्ति विश्वं पश्यन्त इत्युत्तरर्चासम्बन्धः ॥२५॥