Go To Mantra

सा॒हा ये सन्ति॑ मुष्टि॒हेव॒ हव्यो॒ विश्वा॑सु पृ॒त्सु होतृ॑षु । वृष्ण॑श्च॒न्द्रान्न सु॒श्रव॑स्तमान्गि॒रा वन्द॑स्व म॒रुतो॒ अह॑ ॥

English Transliteration

sāhā ye santi muṣṭiheva havyo viśvāsu pṛtsu hotṛṣu | vṛṣṇaś candrān na suśravastamān girā vandasva maruto aha ||

Pad Path

स॒हाः । ये । सन्ति॑ । मु॒ष्टि॒हाऽइ॑व । हव्यः॑ । विश्वा॑सु । पृ॒त्ऽसु । होतृ॑षु । वृष्णः॑ । च॒न्द्रान् । न । सु॒श्रवः॑ऽतमान् । गि॒रा । वन्द॑स्व । म॒रुतः॑ । अह॑ ॥ ८.२०.२०

Rigveda » Mandal:8» Sukta:20» Mantra:20 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:39» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:20


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः वही विषय आ रहा है।

Word-Meaning: - हे कविजन, हे प्रजाजन तथा हे विद्वद्वर्ग ! आप (हव्यः) प्रशंसनीय और युद्ध में बुलाने योग्य (मुष्टिहा+इव) मल्ल के समान (ये) जो (विश्वासु+पृत्सु) सर्व युद्धों में और (हेतृषु) आह्वानकर्ता योद्धाओं में (सहाः+सन्ति) समर्थ और अभिभवकारी हैं, उन (वृष्णः) वर्षाकारी (चन्द्रान्) आह्लादक और (सुश्रवस्तमान्) अतिशय यशस्वी उन (मरुतः) सैनिकजनों की (अह) ही (न) इस समय (वन्दस्व) कीर्ति गाइये ॥२०॥
Connotation: - जो सेनाएँ उत्तमोत्तम कार्य करें, वे प्रशंसनीय हैं ॥२०॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विश्वासु, पृत्सु) सब संग्रामों में तथा (होतृषु) आह्वानकारक योद्धृदल में (ये) जो वीर (मुष्टिहेव, हव्यः) मुष्टियुद्ध करनेवाले आह्वान योग्य मल्ल के समान (साहाः, सन्ति) शत्रुओं को सहारनेवाले हैं (न) सम्प्रति (वृष्णः) शस्त्र-अस्त्रों की वर्षा करनेवाले (चन्द्रान्) सबके आह्लादक (सुश्रवस्तमान्) सुन्दर अत्यन्त यशवाले वीरों की (गिरा) सत्कार योग्य वाणी से (वन्दस्व, अह) स्तुति वन्दना करो ॥२०॥
Connotation: - हे प्रजाजनो ! तुम संग्रामों में युद्ध करनेवाले तथा शत्रु के बुलाने पर युद्ध में जानेवाले योद्धाओं का सत्कार करो अर्थात् मल्लयुद्ध में निमन्त्रण देकर बुलानेवाले मल्ल के समान जो योद्धा दस्युओं तथा म्लेच्छों के हननार्थ सदा उद्यत रहते हैं, ऐसे योद्धाओं का प्रजाजनों को स्तवन=सत्कार करना धर्म है ॥२०॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तदनुवर्त्तते।

Word-Meaning: - हे कविजन हे प्रजाजन हे विद्वद्वर्ग ! हव्यः=प्रशंसनीयः। मुष्टिहा+इव=मुष्टिभिर्हन्तीति मुष्टिहा मल्लः। तद्वत् ये सैनिकाः। विश्वासु=सर्वासु। पृत्सु=पृतनासु। तथा होतृषु=योद्धृषु। सहौः, सन्ति=अभिभवितारो भवन्ति। तान्। वृष्णः। चन्द्रान्=आह्लादकान्। सुश्रवस्तमान्=अतिशयेन शोभनयशस्कान् मरुतः। अह=एव। न=सम्प्रति। गिरा। वन्दस्व=गाय ॥२०॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विश्वासु, पृत्सु) सर्वसंग्रामेषु (होतृषु) ह्वातृषु योधेषु च (ये) ये मरुतः (मुष्टिहेव, हव्यः) मुष्टिभिर्योद्धा ह्वातव्यो मल्ल इव (साहाः, सन्ति) अभिभावकाः सन्ति तान् (न) सम्प्रति (वृष्णः) शस्त्रास्त्रवर्षणशीलान् (चन्द्रान्) आह्लादकान् (सुश्रवस्तमान्) शोभनात्यन्तयशस्कान् (गिरा) वाचा (वन्दस्व, अह) स्तुहि एव ॥२०॥