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त्रय॒: कोशा॑सः श्चोतन्ति ति॒स्रश्च॒म्व१॒॑: सुपू॑र्णाः । स॒मा॒ने अधि॒ भार्म॑न् ॥

English Transliteration

trayaḥ kośāsaḥ ścotanti tisraś camvaḥ supūrṇāḥ | samāne adhi bhārman ||

Pad Path

त्रयः॑ । कोशा॑सः । श्चो॒त॒न्ति॒ । ति॒स्रः । च॒म्वः॑ । सुऽपू॑र्णाः । स॒मा॒ने । अधि॑ । भार्म॑न् ॥ ८.२.८

Rigveda » Mandal:8» Sukta:2» Mantra:8 | Ashtak:5» Adhyay:7» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:8


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनरपि ईश्वर की महिमा दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (समाने+अधि) समान प्रकार से (भार्मन्) पोष्यमाण इस जगत् में (त्रयः) ये दृश्यमान तीनों लोकरूप (कोशाः) धनकोश (श्चोतन्ति) सुख की वर्षा कर रहे हैं और (तिस्रः) ये ही तीनों लोकरूप (चम्वः) चमस=यज्ञपात्रविशेष (सुपूर्णाः) धनों और आनन्दों से परिपूर्ण हैं। इन्हें हे मनुष्यो ! देखो ॥८॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! ईश्वर की महान् महिमा है, कहीं भी अपूर्णता वा न्यूनता नहीं है। यह विषय इससे दिखलाया गया है ॥८॥
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ARYAMUNI

अब शत्रुविजय के लिये सामग्री कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (समाने, भार्मन्, अधि) समान संग्राम प्राप्त होने पर (त्रयः) तीन (कोशासः) अर्थसमूह (श्चोतन्ति) फल को प्राप्त करते हैं (तिस्रः) तीन (चम्वः) सेनाएँ (सुपूर्णाः) सुसज्जित फलप्रद होती हैं ॥८॥
Connotation: - शत्रु के साथ संग्राम प्राप्त होने पर तीन प्रकार की सामग्री से विजय प्राप्त होती है अर्थात् (१) विद्याकोश=बुद्धिमान् सेनापति जो सेना को विचारपूर्वक संग्राम में प्रवृत्त करे (२) बलकोश=बलवान् सैनिकों का होना और (३) धनकोश=धन का पर्याप्त होना, ये तीन कोश जिसके पास पूर्ण होते हैं, वे अवश्य विजय को प्राप्त होते हैं, अन्य नहीं ॥८॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनरपीश्वरमहिमा प्रदर्श्यते।

Word-Meaning: - हे मनुष्याः ! ईश्वरस्य महान् महिमास्ति। न कुत्रापि अपूर्णता न्यूनता वास्तीति प्रदर्श्यते। अधिः सप्तम्यर्थानुवादी। समाने अधि=तुल्ये। भार्मन्=परमात्मना भ्रियमाणे पोष्यमाणे जगति सति। समानरूपेण त्रयः=इमे दृश्यमाना लोकत्रयरूपाः। कोशाः=द्रव्याश्रयगृहाः। श्चोतन्ति=प्राणिनां सुखाय सर्वत्र क्षरन्ति सुखं सिञ्चन्ति। तथा तिस्रः चम्वः=लोकत्रयरूपाश्चमसाः। सुपूर्णाः सन्ति=धनैर्वा आनन्दैर्वा परिपूर्णाः सन्ति। हे मनुष्याः ! तान् लोकानिमान् पश्यत ॥८॥
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ARYAMUNI

अथ शत्रुविजयसामग्री वर्ण्यते।

Word-Meaning: - (समाने, भार्मन्, अधि) समानसंग्राममध्ये (त्रयः) त्रिसंख्याकाः (कोशासः) अर्थसमूहाः (श्चोतन्ति) फलानि क्षरन्ति (तिस्रः, चम्वः) तिस्रः सेनाश्च (सुपूर्णाः) सुपूरिताः भवन्ति फलप्रदाः ॥८॥