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ए॒ष ए॒तानि॑ चका॒रेन्द्रो॒ विश्वा॒ योऽति॑ शृ॒ण्वे । वा॒ज॒दावा॑ म॒घोना॑म् ॥

English Transliteration

eṣa etāni cakārendro viśvā yo ti śṛṇve | vājadāvā maghonām ||

Pad Path

ए॒षः । ए॒तानि॑ । च॒का॒र॒ । इन्द्रः॑ । विश्वा॑ । यः । अति॑ । शृ॒ण्वे । वा॒ज॒ऽदावा॑ । म॒घोना॑म् ॥ ८.२.३४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:2» Mantra:34 | Ashtak:5» Adhyay:7» Varga:23» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:34


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SHIV SHANKAR SHARMA

परमात्मा की महिमा दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (एष+इन्द्रः) यह इन्द्र (एतानि) इन पृथिवी जल आदि (विश्वा) सब वस्तुओं को (चकार) बनाता है तथा (यः) जो (अति+शृण्वे) अतिशय सर्वत्र स्तवनीय होता है और वही (मघोनाम्) धनसम्पन्न पुरुषों को भी (वाजदावा) विवेकरूप धन देनेवाला है। वही परमात्मा उपास्य और ध्येय है, यह शिक्षा इससे होती है ॥३४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! उसी की महिमा गाओ, जो सबको बनाता, पालता और अन्त में संहार करता, उसी को दाता समझकर ध्यान करो ॥३४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एषः, इन्द्रः) इस कर्मयोगी ने (एतानि, विश्वा) एतादृश कार्यों को (चकार) किया (यः) जो (मघोनां) धनवानों को (वाजदावा) अन्नादि पदार्थों का दाता (अति, शृण्वे) अतिशय सुना जाता है ॥३४॥
Connotation: - संसार की मर्यादा को बाँधना कर्मयोगी का मुख्य कर्तव्य है, यदि वह धनवानों की रक्षा न करे तो संसार में विप्लव होने से धनवान् सुरक्षित नहीं रह सकते, इसलिये यह कथन किया है कि वह धनवानों को सुरक्षित रखने के कारण मानो उनका अन्नदाता है और ऐश्वर्य्यसम्पन्न धनवानों की रक्षा करना प्राचीन काल से सुना जाता है ॥३४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

परमात्मनो महिमानं दर्शयति।

Word-Meaning: - एष इन्द्रः। विश्वानि=समस्तानि। एतानि=पुरतो दृश्यमानानि पृथिव्यादीनि भूतजातानि। चकार=करोति। पुनः। यः। अति=अतिशयेन। शृण्वे=श्रूयते सर्वैः स्तूयत इत्यर्थः। सः। मघोनाम्=धनवतामपि। वाजदावा= ज्ञानधनदाताऽस्ति। स एव परमात्मोपास्यो ध्येयोऽस्तीति शिक्षत ॥३४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (एषः, इन्द्रः) एष कर्मयोगी (एतानि, विश्वा) एतानि एतादृशानि सर्वाणि कार्याणि (चकार) कृतवान् (यः) योऽसौ (मघोनां) धनवतां (वाजदावा) अन्नादिपदार्थानां दाता (अति, शृण्वे) अतिशयेन श्रूयते ॥३४॥