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भ॒द्रो नो॑ अ॒ग्निराहु॑तो भ॒द्रा रा॒तिः सु॑भग भ॒द्रो अ॑ध्व॒रः । भ॒द्रा उ॒त प्रश॑स्तयः ॥

English Transliteration

bhadro no agnir āhuto bhadrā rātiḥ subhaga bhadro adhvaraḥ | bhadrā uta praśastayaḥ ||

Pad Path

भ॒द्रः । नः॒ । अ॒ग्निः । आऽहु॑तः । भ॒द्रा । रा॒तिः । सु॒ऽभ॒ग॒ । भ॒द्रः । अ॒ध्व॒रः । भ॒द्राः । उ॒त । प्रऽश॑स्तयः ॥ ८.१९.१९

Rigveda » Mandal:8» Sukta:19» Mantra:19 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:32» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:19


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SHIV SHANKAR SHARMA

इससे प्रार्थना करते हैं।

Word-Meaning: - (सुभग) हे परमसुन्दर देव ! हे सर्वैश्वर्य्युक्त ! (आहुतः) आहुतियों से तृप्त (अग्निः) अग्नि (नः) हम लोगों का (भद्रः) कल्याणप्रद हो, (रातिः) हमारा दान (भद्रा) मङ्गलविधायक हो, (अध्वरः+भद्रः) याग मङ्गलप्रद हो (उत) और (प्रशस्तयः) प्रशंसाएँ (भद्राः) कल्याणदायिनी हों, ऐसी कृपा कर ॥१९॥
Connotation: - हम मनुष्य जो कुछ कर्म करें, वह जगत् के मङ्गल के लिये हो, अनिष्ट कर्म न कर कल्याणप्रद ही कार्य्य सदा हम किया करें ॥१९॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सुभग) हे सुन्दर ऐश्वर्य्यवाले परमात्मन् ! (आहुतः, अग्निः) आहुति द्वारा सेवित आप (नः, भद्रः) हमारे कल्याणकारी हो (भद्रा, रातिः) हमारा दान कल्याणमय हो (भद्रः, अध्वरः) हमारा हिंसारहित याग भी कल्याणमय हो और (उत, प्रशस्तयः) हमारी स्तुतिएँ भी (भद्राः) कल्याणजनक हों ॥१९॥
Connotation: - इस मन्त्र में यह उपदेश किया है कि आहुति आदि मन्त्रोक्त कर्मों के आदि में याज्ञिक प्रार्थना करें कि हमारे यज्ञ में दान आदि कोई ऐसा कर्म न हो, जिससे किसी जीव को कष्ट हो, किन्तु सब कर्म सब जीवों के हितकारक हों अर्थात् हमारा यज्ञ हिंसारहित हो और हमारी स्तुतिएँ कल्याणकारक हों, जिससे सब प्राणी सुख अनुभव करें ॥१९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

अनया प्रार्थ्यते।

Word-Meaning: - हे सुभग=परमसुन्दर देव ! आहुतः=आहुतिभिस्तृप्तोऽग्निः। नोऽस्माकम्। भद्रः=कल्याणकारी भवतु। अस्माकं रातिर्दानम्। भद्रा=मङ्गलविधायिनी भवतु। उत=अपि च। प्रशस्तयः=प्रशंसाः। भद्राः कल्याण्यः भवन्तु ॥१९॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सुभग) हे स्वैश्वर्य ! (आहुतः, अग्निः) तर्पितस्त्वम् (नः, भद्रः) अस्माकं कल्याणो भवतु (भद्रा, रातिः) अस्माकं दानमपि कल्याणम् (भद्रः, अध्वरः) यागोऽपि भद्रः (उत, प्रशस्तयः) अथ स्तुतयोऽपि (भद्राः) कल्याण्यो भवन्तु ॥१९॥