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आ या॑हि सुषु॒मा हि त॒ इन्द्र॒ सोमं॒ पिबा॑ इ॒मम् । एदं ब॒र्हिः स॑दो॒ मम॑ ॥

English Transliteration

ā yāhi suṣumā hi ta indra somam pibā imam | edam barhiḥ sado mama ||

Pad Path

आ । या॒हि॒ । सु॒सु॒म । हि । ते॒ । इन्द्र॑ । सोम॑म् । पिब॑ । इ॒मम् । आ । इ॒दम् । ब॒र्हिः । स॒दः॒ । मम॑ ॥ ८.१७.१

Rigveda » Mandal:8» Sukta:17» Mantra:1 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:22» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:1


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SHIV SHANKAR SHARMA

इससे परमदेवता की प्रार्थना करते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र ! परमैश्वर्य्य देव (आ+याहि) मेरे समीप आ (हि) क्योंकि हम उपासकगण (ते) तेरे लिये (सुसुम) यज्ञ करते हैं। इस हेतु (इमम्+सोमम्) यज्ञ में स्थापित निखिल पदार्थों को यद्वा अत्युत्तम यज्ञीय भाग को (पिब) कृपादृष्टि से देख। हे भगवन् ! (मम) मेरे (इदम्) इस (बर्हिः) बृहद् हृदयरूप आसन पर (आ+सदः) बैठ ॥१॥
Connotation: - मनुष्य जो कुछ शुभकर्म करते, पकाते, खाते, होम करते और देते हैं, उन सबको प्रथम परमात्मा के निकट समर्पित करें। यह शिक्षा इस ऋचा द्वारा दी गई है ॥१॥
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ARYAMUNI

अब इस सूक्त में ईश्वर की आज्ञा से ऐश्वर्यप्राप्त पूर्वोक्त योद्धा के गुणों का वर्णन करते हुए प्रथम उसका सत्कार करना कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमैश्वर्यप्राप्त योद्धा ! (आयाहि) आइये (ते, सुषुम) आपके लिये हमलोग अभिषव कर रहे हैं (इमम्, सोमम्, पिब) इस सोमरस को पियें (इदम्, मम, बर्हिः) इस मेरी यज्ञवेदिका पर (आसदः) आसीन हों ॥१॥
Connotation: - विजयी योद्धा, जिसने परमात्मा की विशेषकृपा से शत्रुओं पर विजयप्राप्त किया है, वह क्षात्रबलप्रधान यज्ञ में सत्कारार्ह होता है। वही सम्मान का अधिकारी होता है और उसको यज्ञ में उच्चस्थान पर आसीन कर याज्ञिक पुरुष सोमरस आदि उत्तमोत्तम पदार्थों से उसका सत्कार करते हैं, ताकि अन्य योद्धा उसको ऐश्वर्यसम्पन्न देखकर उत्साहित हों ॥१॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

परमदेवता प्रार्थ्यते।

Word-Meaning: - मनुष्या यत्किमपि कुर्वन्ति यत्पचन्ति यद् जुह्वति यद् ददति तत्सर्वं परमात्मने समर्पणीयमित्यनया शिक्षते। यथा−हे इन्द्र ! आयाहि=अस्मत्समीपम् एहि। हि=यतः। वयम्। ते=त्वामुद्दिश्य। सुसुम=सुनुमः=यज्ञं सम्पादयामः। हे इन्द्र ! त्वम्। इमं सोमम्=यज्ञे स्थापितं पदार्थजातम्। पिब=कृपादृष्ट्या अवलोकय। हे भगवन् ! मम इदं बर्हिर्बृहदन्तःकरणमासनम्। आसदः=आसीद=उपविश ॥१॥
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ARYAMUNI

अथेश्वराज्ञया लब्धैश्वर्यस्य योद्धुः पूर्वोक्तस्य गुणा वर्ण्यन्ते।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमैश्वर्यप्राप्त योद्धः ! (आयाहि) आगच्छ (ते, सुषुम, हि) त्वदर्थं सुषुणुमः (इमम्, सोमम्, पिब) इमं सोमरसं पिब (इदम्, मम, बर्हिः) अस्यां मम वेद्याम् (आसदः) आसीद ॥१॥