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स स्तोम्य॒: स हव्य॑: स॒त्यः सत्वा॑ तुविकू॒र्मिः । एक॑श्चि॒त्सन्न॒भिभू॑तिः ॥

English Transliteration

sa stomyaḥ sa havyaḥ satyaḥ satvā tuvikūrmiḥ | ekaś cit sann abhibhūtiḥ ||

Pad Path

सः । स्तोम्यः॑ । सः । हव्यः॑ । स॒त्यः । सत्वा॑ । तु॒वि॒ऽकू॒र्मिः । एकः॑ । चि॒त् । सन् । अ॒भिऽभू॑तिः ॥ ८.१६.८

Rigveda » Mandal:8» Sukta:16» Mantra:8 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:21» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:8


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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्र की स्तुति दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यों ! (सः) वह सुप्रसिद्ध भगवान् ही (स्तोम्यः) विविध स्तोत्रों से स्तवनीय है। (सः+हव्यः) वही शुभ कर्मों में पूजार्थ आवाहनीय=निमन्त्रणीय है। वही (सत्यः) निखिल विद्यमान पदार्थों में रहकर साधुकारी है, यद्वा सत्यस्वरूप है। पुनः (स त्वा) स्व नियमों से दुष्ट पुरुषों व प्राणियों को निपातन करनेवाला है, पुनः (तुविकूर्मिः) अनन्तकर्मा सर्वकर्मा विश्वकर्मा है। इस कारण (एकः+चित्) एक ही अन्यान्य साहाय्यरहित ही (सन्) होता हुआ (अभिभूतिः) संसारों के निखिल विघ्नों को विनष्ट करनेवाला है ॥८॥
Connotation: - भगवान् के विषय में जितना कहा जाय, वह सब ही अति स्वल्प है। हे मनुष्यों ! वही स्तुत्य, हव्य, सत्य और विश्वकर्मा है। वह असहाय सर्व कार्य कर रहा है ॥८॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सः, स्तोम्यः) वह स्तुतियोग्य है (सः, हव्यः) वह हव्य=आह्वान योग्य है (सत्यः) सत्पुरुषों का पालक (सत्वा) असत्पुरुषों का अवसादक (तुविकूर्मिः) अनेक कर्मोंवाला (एकः, चित्, सन्) अकेला हो (अभिभूतिः) शत्रुओं का तिरस्कर्ता है ॥८॥
Connotation: - वह पूर्ण परमात्मा सबका उपासनीय, तथा स्तुतियोग्य है, वही वेदविहित कर्म करनेवाले सत्पुरुषों का पालक, दुष्टों को दण्ड देनेवाला और विविध प्रकार के कर्मों का उत्पादक तथा पूर्ण करनेवाला है, अतएव प्रत्येक पुरुष को उचित है कि सदैव वेदविहित कर्मों का अनुष्ठान करते हुए उसी की शरण को प्राप्त हों ॥८॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्रस्य स्तुतिं दर्शयति।

Word-Meaning: - हे मनुष्याः ! स प्रसिद्धो भगवान्। स्तोम्यः=स्तोमार्हः=स्तोमैः स्तोत्रैः स्तवनीयः। स एव। हव्यः=आह्वातव्यः=निमन्त्रयितव्यः। सः। सत्यः=सत्यस्वरूपः। सत्सु विद्यमानेषु सर्वेषु पदार्थेषु निवसन् साधुकारी। पुनः। सत्वा=दुष्टान् पुरुषान् स्वनियमैः। सादयिता=निपातयिता। पुनः। तुविकूर्मिः=बहुकर्मा=अनन्तकर्मा। अतएव। एकश्चिद्=एक एवासन्। अभिभूतिः=सर्वविघ्नानां विनाशयिता। ईदृश इन्द्रः सदा सेव्य इत्यर्थः ॥८॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सः, स्तोम्यः) स स्तुत्यर्हः (सः, हव्यः) स ह्वातव्यः (सत्यः) सतां पालकः (सत्वा) असतां सादयिता (तुविकूर्मिः) बहुकर्मा (एकः, चित्, सन्) एक एव सन् (अभिभूतिः) तिरस्कर्ता ॥८॥