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स न॒: पप्रि॑: पारयाति स्व॒स्ति ना॒वा पु॑रुहू॒तः । इन्द्रो॒ विश्वा॒ अति॒ द्विष॑: ॥

English Transliteration

sa naḥ papriḥ pārayāti svasti nāvā puruhūtaḥ | indro viśvā ati dviṣaḥ ||

Pad Path

सः । नः॒ । पप्रिः॑ । पा॒र॒या॒ति॒ । स्व॒स्ति । ना॒वा । पु॒रु॒ऽहू॒तः । इन्द्रः॑ । विश्वा॑ । अति॑ । द्विषः॑ ॥ ८.१६.११

Rigveda » Mandal:8» Sukta:16» Mantra:11 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:21» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:11


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः उसी अर्थ को कहते हैं।

Word-Meaning: - (पप्रिः) मनोरथों को पूर्णकर्त्ता परमरक्षक (पुरुहूतः) बहुत जनों से आहूत=निमन्त्रित (सः+इन्द्रः) वह ऐश्वर्य्यशाली परमात्मा (विश्वाः) समस्त (द्विषः) द्वेष करनेवाली प्रजाओं से (नः) हम उपासक जनों को (नावा) नौकासाधन द्वारा (स्वस्ति) कल्याण के साथ (अति+पारयाति) पार उतार देवे अर्थात् दुष्टजनों से हमको सदा दूर रक्खे, यह इससे प्रार्थना है ॥११॥
Connotation: - हे मनुष्यों ! सदा दुष्टजनों से बचने के लिये परमात्मा से प्रार्थना करनी चाहिये। स्वयं कभी दुराचार में न फँसे ॥११॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पप्रिः) सब कामों का पूरक (पुरुहूतः) अनेकों से आहूत (सः, इन्द्र) वह परमात्मा (नः) हमको (विश्वाः, द्विषः) सकल द्वेषियों से (नावा) नौका आदि तारणसाधनों द्वारा जलीय स्थानों में (अतिपारयाति) अतिशय पार करे ॥११॥
Connotation: - जिस प्रकार जलमय स्थानों में नौका तराने की साधन होती है, इसी प्रकार वह हमारा रक्षक परमात्मा, जो सब कामों की पूर्ति करनेवाला है, वह नौका के समान सब शत्रुओं से हमारी रक्षा करता हुआ पार करनेवाला है ॥११॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तमर्थमाह।

Word-Meaning: - पप्रिः=मनोरथानां पूरयिता। पुरुहूतः=पुरुभिर्बहुभिराहूतो निमन्त्रितः। स इन्द्रः। विश्वाः=सर्वाः। द्विषः=द्वेष्ट्रीः प्रजाः। नोऽस्मान्। नावा=नौकासाधनेन। स्वस्ति=क्षेमेण=कल्याणेन सह। अतिपारयाति=अतिपारयतु ॥११॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पप्रिः) पूरयिता (पुरुहूतः) बहुभिराहूतः (सः, इन्द्रः) स परमात्मा (नः) अस्मान् (विश्वाः, द्विषः) सर्वेभ्यो द्विड्भ्यः (नावा) तरणसाधनेन (अतिपारयाति) अतिपारयतु ॥११॥