Go To Mantra

तद॒द्या चि॑त्त उ॒क्थिनोऽनु॑ ष्टुवन्ति पू॒र्वथा॑ । वृष॑पत्नीर॒पो ज॑या दि॒वेदि॑वे ॥

English Transliteration

tad adyā cit ta ukthino nu ṣṭuvanti pūrvathā | vṛṣapatnīr apo jayā dive-dive ||

Pad Path

तत् । अ॒द्य । चि॒त् । ते॒ । उ॒क्थिनः॑ । अनु॑ । स्तु॒व॒न्ति॒ । पू॒र्वऽथा॑ । वृष॑ऽपत्नीः । अ॒पः । ज॒य॒ । दि॒वेऽदि॑वे ॥ ८.१५.६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:15» Mantra:6 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:18» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:6


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

जल के लिये प्रार्थना दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! (उक्थिनः) विविध भाषाओं के विज्ञाता और स्तोत्रतत्त्वविद् विद्वान् (पूर्वथा) पूर्ण के समान अथवा पूर्वकाल के समान (ते) तेरे (तद्) उस सुप्रसिद्ध बल की (चिद्+अद्य) आज भी (अनुष्टुवन्ति) क्रमशः स्तुति करते हैं। हे भगवन् ! सो तू (वृषपत्नीः) मेघस्वामिक (अपः) जल को (दिवे+दिवे) दिन-२ (जय) अपने आधीन कर। जल के विना स्थावर और जङ्गम दोनों संसार व्याकुल हो जाते हैं। तदर्थ जल दे ॥६॥
Connotation: - हे भगवन् ! तू ही सबसे स्तुत्य है। वह तू जब-२ जल की आवश्यकता हो, तब-२ जल दिया कर, जिससे सब ही पदार्थ प्राणवान् होते हैं ॥६॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (उक्थिनः) विद्वान् लोग (तत्, ते) उस आपके बल की (अद्य, चित्) अब भी (अनुष्टुवन्ति) प्रशंसा करते हैं (दिवेदिवे) प्रतिदिन आप (वृषपत्नीः) वृषा=सर्वकामनाओं की वर्षा करनेवाले आप ही जिनके पति हैं, ऐसे (अपः) हमारे कर्मों को (जय) अपने अधीन रखें ॥६॥
Connotation: - हे कर्मफलदाता परमात्मन् ! आपके दिये हुए जिस बल को पाकर विद्वान् पुरुष कृतकृत्य हुए प्रशंसा करते हैं, वह बल हमें प्रदान करें। हे प्रभो ! आप ही सब कामनाओं के पूर्ण करनेवाले और आप ही कर्मफलदाता हैं। कृपा करके हमें शुभकर्मों की ओर प्रेरित करें, जिससे हमारे शुभ मनोरथ पूर्ण हों ॥६॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

जलाय प्रार्थनां दर्शयति।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! उक्थिनः=विविधोक्तिज्ञाः स्तोत्रविदश्च विद्वांसः। पूर्वथा=पूर्वे पूर्णा इव। यद्वा। पूर्वस्मिन् काल इव। ते=त्वदीयम्। तत्प्रसिद्धम्। बलमिति शेषः। चिदद्य=अद्यापि। अनुष्टुवन्ति। क्रमेण स्तुवन्ति। हे भगवन् स त्वम्। वृषपत्नीः=वृषा वर्षिता मेघः पतिर्यासां तादृशीः। अपः=जलानि। दिवे दिवे=प्रतिदिवसम्। जय=स्वायत्तं कुरु। जलं विना स्थावरा जङ्गमाश्च संसारा व्याकुलीभवन्ति तदर्थं देहि जलम् ॥६॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (उक्थिनः) विद्वांसः (तत्, ते) तत्ते बलम् (अद्य, चित्) अद्यापि (अनुष्टुवन्ति) प्रशंसन्ति (दिवे, दिवे) प्रतिदिनम् (वृषपत्नीः) वृषा=सर्वकामप्रदः पतिर्यासाम् ताः (अपः) अपः=अपांसि मम कर्माणि (जय) स्वायत्तीकुरु ॥६॥