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उद्गा आ॑ज॒दङ्गि॑रोभ्य आ॒विष्कृ॒ण्वन्गुहा॑ स॒तीः । अ॒र्वाञ्चं॑ नुनुदे व॒लम् ॥

English Transliteration

ud gā ājad aṅgirobhya āviṣ kṛṇvan guhā satīḥ | arvāñcaṁ nunude valam ||

Pad Path

उत् । गाः । आ॒ज॒त् । अङ्गि॑रःऽभ्यः । आ॒विः । कृ॒ण्वन् । गुहा॑ । स॒तीः । अ॒र्वाञ्च॑म् । नु॒नु॒दे॒ । व॒लम् ॥ ८.१४.८

Rigveda » Mandal:8» Sukta:14» Mantra:8 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:15» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:8


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SHIV SHANKAR SHARMA

वही सब विघ्नों का नाश करता है।

Word-Meaning: - जब ईश्वर हमारे (वलम्) सर्व विघ्न और अज्ञान को (अर्वाञ्चम्) अधोमुख करके (नुनुदे) नीचे गिराता है, (तदा) तब (गुहा) हृदयरूप गुहा में (सतीः) गूढ़ मेधादि शक्तियों को (आविष्कृण्वन्) प्रकाशित करता हुआ वह परमात्मा (अङ्गिरोभ्यः) हमारे इन्द्रियों को (गाः) मेधादि इन्द्रियशक्ति (उद्+आजत्) प्रदान करता है ॥८॥
Connotation: - उसी की कृपा से ज्ञान विज्ञान, विवेक और मेधा आदि गुण उत्पन्न होते हैं, यह शिक्षा इससे दी जाती है ॥८॥
Footnote: यद्यपि सर्वशक्तियाँ मनुष्यों के हृदय में गुप्तरीति से विद्यमान हैं, वे समय-२ पर विकसित भी स्वयं हो जाती हैं। तथापि वे अज्ञान से ढकी हुई हैं और किन्हीं योगिगणों की बुद्धियाँ स्व परिश्रम से उद्भूत होती हैं, परन्तु परमात्मा की कृपा जिस पर होती है, उसके हृदय से शीघ्र वे मेधादि शक्तियाँ उदित होकर सुखप्रद होती हैं। अतः उसकी सर्वभाव से सेवा करनी चाहिये ॥८॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (गुहा, सतीः) गुहा में छिपी हुई के समान (गाः) क्षात्रबलरूप विद्याओं को (आविष्कृण्वन्) प्रकट करता हुआ (अङ्गिरोभ्यः) विद्वानों के लिये (उदाजत्) बढ़ाता है, जिससे (अर्वाचम्) अभिमुख आते हुए (बलम्) शत्रुबल को (नुनुदे) अपसारण करता है ॥८॥
Connotation: - सम्राट् को उचित है कि लुप्त हुई प्राचीन तथा अर्वाचीन क्षात्रबलवर्धक गूढ़ विद्याओं का आविष्कार करने का प्रयत्न करता रहे अर्थात् अपने सैनिकों को सिखलाता रहे, जिससे उसके सैनिक किसी शत्रु की सेना से पराभूत न हों, प्रत्युत सदैव विजय प्राप्त करते रहें ॥८॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

सैव सर्वं विघ्नं विनाशयति।

Word-Meaning: - यदा परमात्मा भक्तानुग्रहाय। वलम्=ज्ञानम्। अर्वाञ्चम्=अधोमुखं कृत्वा। नुनुदे=प्रेरयति=अधःपातयति। तदा। अङ्गिरोभ्यः= प्राणेभ्यः=इन्द्रियेभ्यः। गाः=इन्द्रियशक्तीः। उदाजत्=उद्गमयति= उद्धरति। किं कुर्वन्। गुहा=हृदयगुहायाम्। सतीः=विद्यमानाः। गाः=मेधाप्रभृतीरिन्द्रियशक्तीः। आविष्कृण्वन्=प्रकाशयन्। सर्वाश्च शक्तयो हृदये विद्यमाना एव सन्ति। ता एव परमात्मकृपया आविर्भवन्तीत्यर्थः ॥८॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (गुहा, सतीः) गुहायां विद्यमाना इव (गाः) विद्याः (आविष्कृण्वन्) प्रकटीकुर्वन् (अङ्गिरोभ्यः) विद्वद्भ्यः (उदाजत्) वर्द्धयति तेन (अर्वाचम्, बलम्) अभिमुखं शत्रुसैन्यम् (नुनुदे) अपसारयति ॥८॥